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चतुदेसमुलाः ॥ दि

  • के सेवा भेजे रिश्ते पैगाम जानेबाता ॥ में ० ६ 1 कि ० से ५ । ० ४२ ।

आT० १ ० से ४७ 1 ४८ । ४९ ॥ समीक्षक-खुदा के पास कुजियों का भण्डार भरा होगा क्योंकि सब ठिकाने के ताले खोलने होते होंगे ! यह जड़कपन की बात है क्या जिसको स्वात है उसको बिना पुण्य कर्म के ऐश्वर्य देता है? और तंग करता है? यदि ऐसा है तो यह बड़ा अन्यायकारी है । अब देखिये कुरान बनानेवाले चतुराई कि जिखचे लोजन भी की । मोहित होकझे फंसे यदि जो कुछ चाहता है उत्पन्न करता है तो दूसरे खुद को भी उत्पन्न कर सकता है या नहीं ? यदि नहीं कर सकता तो सर्वशकिमत्रा यहां पर अटरू ! गई, भला मनुष्यों को तो चाहे देता परन्तु जिको बेटे बेटियां खुदा है मुरग, मच्छी, सूअर आादि जिनके बहुत बेटा बेटियां होती हैं कौन देता है १ औौर को पुरुष के समागम विना क्यों नहीं देता १ कि प को अपनी इच्छा के बांझ रख्ज के दु:ख क्यों देता है १। वाई क्या खुदा से जखी है कि उसके सामने कोई बात ही नहीं कर सकता है । परन्तु उसने पहिले का है कि परदा डाल के बात कर सकता है व कूरिसे लोग ? खुदा से बात करते हैं अथवा पैग़म्बर, जो ऐसी बात है तो फ़रिश्ते और पैगम्वर खूब अपना मतलब करते होंगे ' यदि कोई कहे खुदा सर्व सर्वव्यापक है तो परद ये बात करना अथवा डाक व के तुल्य ख़बर मंगा के जानना लिखना व्यर्थ है और जो ऐखा है। वर्ष ब खुद्दा ही नहीं किन्तु कोई चालाक सदय होगा इसलिये यह कुरान ईश्वरस्कृत कभी नहंीं हो सकता ॥ १३७ ॥ १३८—और जब माया ईसा साथ प्रमाण प्रत्यक्ष के ॥ ० ६ सि ० २५ । स• ४३ आ० ६९ है। , व

  • इस आयत के आाय ‘तफ़सीरहुसैनी’' में लिखा है कि मुहम्मद साहेब दो

परों में थे और खुदा की आवाज़ सुनी । एक परदा ज़री का था दूसरा खेव मो. वियों का और दोनों परदों के बीच में सत्तर वर्ष चलने योग्य मार्ग था ' बुद्धिमान 'कोरा इस बात को विचारें कि यह खुदा है वा परदे की ओोट बात करनेवाली थी ? इन लोगों ने तो ईश्वर ही की दुर्दशा कर डाली । कहां वेद तथा उपनिषदादि खन्ों में प्रतिपादित युद्ध परमात्मा और कहां कुरानोक परदे की ओट से बात करनेवाला खुद।सच तो यह है कि अरब के अविद्वान् लोग थे उत्तम बात लात किसके घर से ?? । 4 -