पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५७४

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५७२ सत्या : !) A A समीक्षक-क्या अल्लाह सुखला ही कक्षा दे औरों का तहां ? क्या तेर इस ' पाँ के पूर्व ई वरीय मत था ही नf ? इसी से यह कुरान ईश्वर का बनाया तो नहीं ! कन्तु iके पक्षपात का वनया है ॥ ४७ t ४८-प्रत्येक जीव को पूरा दिया जावेगा जो कुछ उसने कमाया और वे न अन्याय किये जावेंगे । । इ या अल्लाह तू ही मुल्क का मालिक है जिसको चाहे देता, है जिसको चाहे छीनता है जिसको चाहे प्रतिष्ठा देता है जिसको चाहे अप्रविष्टी देता है सब कुछ तेरे ही हाथ में है प्रत्येक वस्तु पर तू ही बलवा है ॥ रात को दिन में और दिन को रात में पैठाता है और मृत को जीवित से जीवित को मृतक से निकालता है और जिसको चाहे अनन्त आन्न देता है ॥ मुसलमानों को उचित है कि काफिरों को मित्र न वनवें विवाय मुसलमानों के जो कोई यह करे बस वह अल्लाई की ओर से नहीं । कइ जो तुम चाहते ो अल्लाह को तो पक्ष करो मेरा अलह चाहेगा तुमको और तुम्हारे पाप को क्ष मा करेगा निश्चय के एमय है । म० १। iसे० ३ 1 सू° ३ । आ० 1 २१ से २२ । २३। २४ । २७ ॥ | समीक्षक-जब प्रत्येक जीव को कर्म का पूरा २ छ दिया जावेगा तो क्षमा नहीं किया जायगा और जो क्षम किया जायगा तो पूरा फल नहीं दिया जायगा और अन्याय होगा, जब वि ना उत्व म क मेंके राज्य दे। तो भी अन्या ' कारी होजायगा भला जीवित मृतक और मृतक के जीवित कभी हो सकता | से हे ? क्योंकि ईश्वर की व्यवस्था अछे अभेद्य दे ऊँभी अदल वल नहीं हो सकती । व iसे ये पक्षपात की बातें कि जो मुसलम।न के सजत्र में नहीं हैं उनको कliर ईराना से भी मित्रता न रखने और मुल 1ों में दुष्टों से भी मि उसेम ईि f त्रा २दन के लिये उपदेश करना ईश्वर को ईश्वरता ने बहैिः कर देता है। इस से यह६ ।त, कुIन का खुद और सलमान केवल तो ग पक्षपात अधिवा के भर अ४ए हैं ६ 4 मु त ज्ञ महम लोग अन्र में ६ और देखिये ईमद हेब की लीला ६ि झो नेशा प' करोगे तो खुद तथाषा व करेगा जो तुम iर १aत १ १५ ०। देश भी

  • =4. केक शुद्ध नहीं था इसीलिये अपने मत व सद्ध करने के लिये मुझे

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