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समीक्षकृ -भला खुदा ने हुक्म दिया कि हो जा तो हुक्म किसने सुना १ और किसको सुनाया है और कौन बन गया १ किस कारण से बनाया है जब यह लिखते हैं कि सृष्टि के पूर्व सिवाय खुदा के कोई भी दूसरी वस्तु न थी तो यह संसार कहां से आाया १ बिना कारण के कोई भी काय्र्य नहीं होता तो इतना बड़ा जगत् कारण के विना कहां से हुआ है यह बात केवल लड़कपन की है (पूर्वी ) नहीं २ ख़ुदा की इच्छा से । ( उत्तरपक्षी ) क्या तुम्हारी इच्छा से एक मक्खी की टांग भी मन जासकती है ? जो कहते हो कि खुदा की इच्छा से यह सब कुछ जगत् बन गया ( पूर्वपक्षी ) खुदा सर्वशक्तिमान् है इसलिये जो चाहे तो कर लेता है ।(उचरपक्षी) सवेशक्तिमान् का क्या अर्थ है? ( पूर्वपक्षी ) जो चाहे तो करस 1( उत्तरपी ) क्या खुदा दूसरा खुद्दा भी बना सकता है ? अपने आप मर सकता है ? मूखे रोगी और अज्ञानी भी बन सकता है ? ( वेंपक्षी ) ऐसा कभी नहीं बन सकता । ( ) परमेश्वर अपने और गुणकर्म उत्तरपक्षी इसलिये दूसरों के स्वभाव के विरुद्ध कुछ भी नहीं कर सकता जैसे संसार में किसी वस्तु के बनने बनाने में तीन पदस्थ प्रथम श्य होते हैं.-एक बनाने वाला जैसे कुम्हार, दूसरी घड़ा बननेवाली मिट्टी र तीसरा उसका साधन जिससे घड़ा बनाया जाता है, जैसे कुम्हार, मिट्टी । और सघन से घड़ा बनता है और बननेवाले घड़े के पूर्व कुम्हार, मिट्टी और साधन होते हैं वैसे ही जगत के बनने से पूर्व जगत् का कारण प्रकृति और उनके गुणकर्म , स्वभाव अनादि हैं इसलिये यह कुरान की बात उथ असम्भव है ॥ २७ ॥ २८जब हमने लोगों के लिये झाबे को पवित्र स्थान सुख देनेवाला अनाया तुम। समाज़ के लिये इवराम स्थान को पकड़ो ॥ में ० १५ ०ि १। सू०२ । आ०११७ ॥ समीक्षक-क्या कार्य के पहिले पवित्र स्थान खुदा ने कोई भी न आया था जो बनाया था ो कावे के बनाने की कुछ आवश्यकता न थी, जो नहीं बनाया था तो विचारे पूरंपन्न दो पवित्र स्थान के विना ही रक्खा था १ पहिले ईवर का पवित्र स्थान बनाने का स्मरण न रहा होगा ॥ २८ !॥ २९-वो कौन मनुष्य हैं जो इबराहीम के चीन से फिर जावें परन्तु जिसने अपनी जान को मूर्ख बनाया और निश्चय हम ने दुनियां में उसी को पसन्दु किया और निवय आरत में वो ही नेक है । मै० १। कि ० १। सू२२ अ० १ ॥