पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५५२

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खंडनीय हैं यह तो थोड़ा चिन्ह मान ईrइयों की त्रावल पुस्तक का दिखताया हे। इतने ही बुद्धि मात्र लोग बहुत कम लगे थोड़ीसी बातों को छोड़ शेष सत्र झूठ भरा है जैखे भूठ के ढंग से सत्य भी शुद्ध नहीं रडता वैसा ही याइबल पुस्तक भी माननीय नहीं हो सकता किन्तु वह सत्य तो वेदों के स्वीकार में गृहीत होता ही है t १ ३ ० | इति श्रीमदयानन्दसरस्वतीस्वामिनिर्मिते सत्यार्थ प्रकाश सुभाषाविभूतेि कुचीनमतविषये त्रयोदशः समुल्लासः सम्पूर्णः ॥ १३ ॥ i)