पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५४९

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

नयी मुठ: ॥ १४७

डाला और बन्द कर उ7 छापदीं जिससे वह जबलों स६ वर्ष पूरे न हों । तबल iफेर देशों के लोगों को न भराई ॥ य० प० प ७ २० । आ० २। ३। है

में

समीक्षक —देखो मर्ज सर्दी करके शैतान को पकड़ा और सहस्त्र वर्ष तक बन्द किया फिर भी छूटेगा क्या फिर न भरमचेगा १ ऐसे दुष्ट को त बन्दीगृह में ही रखना वा सारे बिना छोडना ही नहीं। परन्तु यह शैतान का होना ईसाइर्यों का भ्रममात्र है वास्तव में कुछ भी नहीं केवल लोगों को डरा के अपने जाल में लाने का उपाय रचा है । जैसे किसी त्से से किन्हीं भोले मनुष्यों से कहा कि चलो तुम को देवता का दर्शन कराऊं किसी एकान्त देश में लेजा के एक मनुष्य को चतुर्भुज बनाकर रक्खा गाड़ी में खड़ा करके कहा कि आंख मीच लो जब मैं कहूं तब खोलना और फिर जब कहूं तभी मींच लो जो न मचेगा वह अन्धा हजायगा । वैसी इन मत वालों की बातें हैं कि जो इसरा सइब न मानेगा वह शैतान का बकाया हुआ है । जब व सामने आया तब कहा देखो ! और पुनः शीघ्र कहा कि मीयतो जब फिर झाड़ी में छिप गया तब कहा खोलो । ! देख नारायण को सब ने दर्शन किया । वैसी लीला " मज़इबियों की है इसलिये इनकी माया में किसी को न बना वfहिये में १२8 t ५

-

है। १२५जिसके सन्मुख डे पृथिवी और आकाश भाग गये और उनके लिये जगह न में ली । आर मैंने क्या छोट क्या सब मृतकों की ड्रेश्वर के आगे ख देखा और पुस्तक खोले गये और दूसरा पुस्तक अथात् जीवन का पुस्तक खोछा गया और पुस्त ों में लिखी हुई बातों से मृतकों का विचार उनके कमरों के अनुसार किया गया ॥ यो० प्र० प० २० : आ०११ । १२ ॥ मैं - के . समीक्षक-यह देखो लड़कपन की बात भला पृथिवी और आकाश कैसे भाग सगे है और वे किस पर ठहरेंगे ? जिम के सामने से भगे और उसका सिंहासन और वह कहां डर है और मुद्दे परमेश्वर के सामने खड़े किये गये तो परमेश्वर भी बैठा व खड़ा होगा ? क्या यहां की कचहरी और दूकान के समान ईश्वर का व्यवहार है जो कि पुस्तक लेखानुसार होता है १ और सब जीवों का हाल ईश्वर ने लिखा वा ड के गुमाश्त ने १ ऐसी २ वालों से अनवर को ईश्वर और ईश्वर को प्रतीवर ईसाई आदि मतवालों ने यना दिया ॥ १२५ ॥