पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५४६

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

५४४ वयाता: - - - ७ r प्रबल है तो ईश्वर ने उ को अपरध करते समय ही ड क्यों न दिया जगत् में शैत का जितना राज्य है उसके सामने सहस्त्रांस भी ईसाइयों के ईश्वर का राज्य नहीं इसीलिये ईसाइयों का ईश्वर उसे हटा नहीं सकता होगा इससे यह सिद्ध हुआ के जैसा इस समय के राज्याधिकारी ईसाई डाकू चोर आदि को शीघ्र दण्ड देते । वैसा भी ईसाइयों का ईश्वर नह, पुनः कौन ऐसा निर्बुद्धि मनुष्य है जो वैदिक मत को छोड कपोलकल्पित ईसाइयों का सत स्वीकार करे ? ॥ १ १५ !॥ ११६-हाय पृथिवी और समुद्र के निवासियो ' क्योंकि शैतान तुम पास उतरा है ॥ यो० ० प० १२ । आ० १२ ॥ समीक्षक-क्या वह ईश्वर वहीं का रक्षक और स्वामी है ? पृथिवी, मनुष्यादि प्राणियों का रक्षक और स्वामी नहीं है ? यदि भूमि का भी राजा है तो शैतान को क्यों न मारसका ? ईश्वर देखता रहता है और तान बकाता फिरता है तो भी उस- को व ता नहीं, विदित तो यह होता है कि एक अच्छा ईश्वर और एक वर्थ दुष्ट दूसरा इंश्वर रहा ११६ ॥ ११७-और वयलीख मास ल युद्ध करनेका अधिकार उसे दिया गया । और उसने करने ईश्वर के विरुद्ध निन्दा को अपना मुंह खोला कि उसके नाम का और उसके तंबू की और स्वर्ग में वास करनेहारों की निन्दा करे । और उसका यह दिया गया कि पवित्र लोगों से युद्ध करे और उन पर जय करे और हरएक कुल भाषा और देश पर उपको अधिकार दिया गया ॥ यो० श्र 6 प० १३ । आर आ० ५ से ६ से ७ ॥ समीक्षक-भला जो पृथिवी के लोगों को बहकाने के लिये शैतान और पशु आदि को भेजे और पवित्र मनुष्यों से युद्ध कराये वह काम डाकुओं के के सर समान है बा नहीं १ ऐसा काम ईश्वर या ईश्वर के भक्तों का नहीं हो सकता है॥ ११७ ॥ । ११८-और मैंने दृष्टि की और देखो मेम्न सिं योम पर्वत पर खडा है और इस भग एक लाख चवालीस सहन जन थे जिनके माथे पर उसका नाम और पुल के पिता का नाम लिखा है ॥ यो० । आया० १ ॥

० प - १४

खमक्षक-अब देखिये जहा ईशा का बाप रहता था वहीं सी 'योन पहाड़

प< उठ ठ ला ला भी रहता था परन्तु एक लाख चवालीस पुत्र मनुष्यों ने