पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५३५

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में नयादवसुल्लाख: !! ५३३ लोग उस पर दोष लगाते थे तब उसने कुछ उत्तर नहीं दिया तब पिलोत ने उस से कहीं क्या तू नहीं सुनता कि वे लोग तेरे विरुद्ध कितनी साक्षी देते हैं । परन्तु उसने एक बात का भी उसको उत्तर न दिया यहांलों कि अध्यक्ष ने बहुत अचंभा किया पिलत ने उनसे कहा तो मैं यीशु से जो भ्रष्ट कप्ता दें क्या करूख ख्भों ने उस खे का ब६ क्रश पर चढ़ाया ज।और यीशु को कोड़े मार के क्रश पर चढI जाने को सौंप दि या तघ अध्यक्ष योधा आ ने यीशु को अ॰षत वन में ले जाके सrरी पलटन उस पास इकट्ठी की it उन्होंने उसे का दल उत' के उसे लल बागा ईराया पर काटों का मुकुट यूथ के उक्षके शिपर क्ख। अlर उसके दईिने है।थ पर नर्केट दिया और उसके आगे घुटने ट क र्क यह कई के उवे ठ ट्ट । किया है यदि फ रजा प्रणाम और उन्होंने उस पर धु ा और उन -bट केi न उडल a iए ५र भारा जब वे उसे ठट्ठा कर चुके - तब उसे वह दगा उतic di व ५ik or इसे क्रश पर चढ़।न ो ले राय । जत्र व एक स्थान पर जो ि आ गया था अथॉ खोपड़ी का स्थान का दें पहुंचे तब उन्होंने विर के में पिंच सिमला के रखे पीने को दिया परन्तु उसने चींख के पाना न वाtद्दा तब उन्होंने द पर चढ़ाया आiर उtमें उ ो दुषपन उस iशर के ऊपर लगाया तब दो डाकू ए दहिनी ओोर और दूसरा बाई और उसके संग नशां पर चढये गये जो लग घर से जाते जाते थे उन्होंने अपने शिर ईि ला के आयर यह कह के उपकी निंदा की है मन्दिर के ढाई नेहारे अपने को वच। जो तु ईश्वर का पुत्र है तो क्रश पर से उत्तर आया । इसी रणति से नधन ।ज कों ने भी अध्यापकों और प्राचीन के गि ने ठट्ठा कर कद्दा उठने औरों को बचाया अपने को बचा नहंीं स कता है जो व३ इस्त्राएल का राजा है तो ब्रश पर से अब उतर आये और इस उखका विश्वास करेंगे । वह ईश्वर पर भरोसा रखता है यदि ईश्वर उ9 को चाहता है तो उस को अत्र बचावे क्यiके उसने कहा में ईश्वर का पुत्र हूं जो डाकू छक्ष ग चढ़ये गये उन्होंने भी इसी रीति से उसकी निन्दा की वो नहर से तीसरे पहर में सारे देश में अन्धकार होगया तीसरे पर के निकट यीशु ने बड़े श६ से grर के कई ‘एली एलीना एमरी स्कक कली' अथiत् हे मरे ईश्वर के मेरे ईश्वर तूने क्यों मुझे त्याग है जो लोग वहा खड़े थे उनमें वे कितनों ने यह सुन झा वह एतियाह को बुलाता है उनमें से ए 5 में तुरन्द दाडु के ई मेल fसे में भिगाया छर नल पर रख डडे पीने को दिया तद यीशु ने फिर बडे शब्द से पुकार के प्राण त्याग ।t ई० स० प० २७ ने छ० १५ से १२ , १३। १४ । २२ । & C V A