पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५२२

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५२a त्याश! झंझट है । क्योंकि अधिक बुद्धि में बड़ा शोक है आर जो ज्ञान में बढ़ता है साढ ख म : ० यढता ॥ ज ड० प० १ । छा० १६ । १७ 1 १८ ॥ समीक्षक-अब देखिये ! जो बुद्धि और ज्ञान पर्यायवाची हैं उनको दो मानते टें अगर धु द्ध वृद्धि में शोक और दु व मानना बिना अविद्वानों के ऐठा लेख कौन कर सकता है ? इसलिये यडू बाइबल ईश्वर की बनाई तो क्या किसी विद्वान् की भी बनाई नहीं है ॥ ५९ ॥ यह थोड़ाखा तौरेत जयूर के विषय में लिखा, इस आगे कुछ सलीधत आदि इजील क विषय में लिखा जाता । है कि जिसको ईसाई लोग बहुत्र प्रमाण भून मानते हैं जिसका नाम इब्जील रक्खा है उसी परीक्षा थोड़ीसी लिखते ६ कि यह कहा ! मत्तारावत इजा ! ६०-यीशुठंीष्ट का जन्म इस रीति से हुआ उसकी माता मरियम ककी यू से मंगी हुई थी पर उनके इकट्ठा होने के पहले ही वह देखरड़ी कि पवित्र आत्मा स तो है देखो पर श्र के एक दूत ने स्वप्न में उस दशन दे क ा, दे दाऊद कई खन्तान यूसफ तू अपनी दो मरियम को यहां लाने से मत डर क्य िजा रहा है सो पवित्र आत्मा से है ॥ इ० प० १ । आ० १८। २० ॥ । मीक्षक-इन बातों को कोई विद्वान् नहीं मान सकता कि जो प्रत्यक्षद प्रमाण और स्यालक्रम विरुद्ध हैं इन बातों का मानना मर्ज बुख्य जंगलियों का काम है सभ्य विद्वानों का नहीं, भा जो परश्वर का नियम है उसको कोई ता स का है १ जो परमेश्वर भी नियम का उलटा पलटा कर तो उ की आज्ञा का का न साने और वह भी सर्वज्ञ और निर्मम है, ऐसे तो जिस २ कुमारिका क गर्भ रइ जाय तव व कोई ए से कह सकते हैं कि इसमें गर्भ का रहना ईश्वर की अमर से है और झूठ मूठ कह दे कि परमेश्वर के दूत से मुझको स्वप्न में क दिया है 1 यह गर्भ परमात्मा की ओर से है, जैसा यह असम्भव प्रपत्र रचा है वैसा ही सूर्य से कुन्ती का गर्भवती होना भी पुर।णों में आम्भव लिखा है, ऐसी २ बार के अब क अन्ध मठ के भूरे लोग मनकर भ्रम जाल में गिरते हैं यह ऐसी बात हुई इiगां-iके साथ समागम होने स गर्भवती मरियम हुई होगी, उसने वा रुप के किस सी सरे में एसी यासम्भव बात उादी होगी कि इसमें गर्भ ईश्वर की आर