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- - - ५०४ | सत्यार्थप्रशः ॥ में ईश्वर रक्खा होगा इन्हीं बातों से बुद्धिमान् लोग इनके पुस्तक में ईश्वरकृत | नहीं मान सकते और न ऐसे को ईश्वर समझते हैं ॥ २० ॥ २१-ौर परमेश्वर ने अविराम से कहा कि सर: क्यों यह कहके मुस्कुराई कि जो मैं बुढ़िया हूं सचमुच बालक जनूंगी क्या परमेश्वर के लिये कोई बात असाध्य है ॥ तौ० पर्व १८ । अ० १३। १४ ॥ समीक्षकअव देखिये ! कि क्या ईसाइयों के ईश्वर की लीला कि जो लडके | वा सियों के समान चिड़ता और ताना मारता है !!! ।। २१ || २२---तब परमेश्वर ने सदूममूरा पर गन्धक पौर अागे परमेश्वर की ओर | 1 से वषया ।। और उन नगरों को और सारे चौगान को और नगरों के सारे निवासियों | को और जो कुछ भूमि पर उगता था उलटा दिया । वौ० उत्प० पर्व १९१० | २४ । २५ ॥ समीक्षक---अव यह भी लीला वाइवल के ईश्वर की देखिये ! कि जिसको बालक आदि पर भी कुछ दया न आई । क्या वे सब ही अपराधी थे जो सबका भूमि उलटा के दुवा मारा हैं यह बात न्याय, दया और विवेक से विरुद्ध है जिनका ईश्वर ऐसा काम करे उनके उपासक क्यों न करें ! } २२ । । २३--- हम अपने पिता को दास रस पिलावें और हम उसके साथ शयन करें कि हम अपने पिता से वंश चलावें। तब उन्होंने उस रात अपने पिता की दास रस पिलाया और पहिलोठी गई और अपने पिता के साथ शयन किया । इम उसे आज रात भी दाखि रस पिलावें तू जाके शयन कर । सोलूत की दोनों बेटियां अपने पिता से गर्भिणी हुई । तौ० उत्प० पर्व १६ । अ० ३२ । ३३ । ३४ । ३६ ।। . समीक्षक–देखिये ! पिता पुत्री भी जिस मद्यपान के नशे में कुकर्म करने से न बच सके ऐसे दुष्ट मद्य को जो ईसाई आदि पीते हैं उनकी बुराई का क्या पारावार है ! इसलिये सज्जन लोगों को मद्य के पीने का नाम भी न लेना चाहिये ॥ २३ ॥ २४---और अपने कहने के समान परमेश्वर ने सरः मे भेट किया और अपने वचन के समान परमेश्वर ने सरः के विषय में किया ।। और सर. गर्भिणी हुई " ! तौ० उत्पः पर्व २१ । आः १! ३ ॥ समीक्षक-अब विचारिये किसरः से भेंट कर गर्भवती की, यह काम कैसे हुआ ! | क्यों विना परमेश्वर अर सर' के तीसरा कोई गर्भस्थापन का कारण दीखता है ।