पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/४८३

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

द्वादशसमुल्लासः ।। । ४८१ - - और मनुष्यों को मजूरी कराने में पाप जैन लोग क्यों नहीं गिनते ! जब तुम्हारे चेले ऊटपटांग बातों को सत्य नहीं कर सकते तो तुम्हारे तीर्थंकर भी सत्य नहीं कर सकते जब तुम कथा बांचते हो तब मार्ग में ओताओं के और तुम्हारे मतानुसार जवि मरते | ही होंगे इसलिये तुम इस पाप के मुख्य कारण क्यों होते हो ? इस थोड़े कथन । से बहुत समझ लेना कि उन जल, स्थल, वायु के स्थावरशरीरवाले अत्यन्तमूर्छित | जीवों को दुःख वा सुख की नहीं पहुंच सकताः ।। । अब जैनियों की और भी थोड़ीसी असंभव कथा लिखते हैं सुनना चाहिये और यह भी ध्यान में रखना कि अपने हाथ से साढे तीन हाथ का धनुष होता है और काल की संख्या जैसी पूर्व लिख आये हैं वैसी ही समझना। रत्नसार भाग १ पृष्ठ १६६-१६७ तक में लिखा है, (१) ऋषभदेव का शरीर ५०० (पांच) घनुप् लम्बा और ६४००००० ( चौरासी लाख ) पूर्व वर्ष की आयु । ( २ ) अजितनाथ का ४५० ( चार सौ पचास ) धनुष् परिमाण का शरीर और ७२००००० ( बहत्तर लाख ) पूर्व वर्ष की आयु । ( ३ ) संभवनाथ का ४०० (चारस्रौ ) धनुष परिमाण शरीर और ६०००००० ( साठ लाख) पूर्ववर्ष की आयु । (४) अभिनन्दन का ३५० ( साढे तीनसौ ) धनुष् का शरीर और ५०००००० (पचास लाख } पूर्व वर्ष का आयु । ( ५ ) सुमतिनाथ का ३०० ( तोनस ), धनुप परिमाण का शरीर और ४०००००० ( चालीस लाख ) पूर्व वर्ष की आयु । (६) पद्मप्रभ का १४० (एकस चालीस ) धनुर् का शरीर और ३०००००० ( तीस लाख ) पूर्व वर्ष की आयु । (७) पाश्र्वनाथ का २०० (दोसौ) धनुष का शरीर और २००००००(बीस लाख) पूर्व वर्ष की आयु । (८) चन्द्रप्रभ का १५० ( डेढसौ ) धनुप परिमाण का शरीर और १०००००० (दश साख) पूर्व वर्षों का आयु। (९) सुविधिनाथ का १००(स ) धनुप् का शरीर और २००००० ( दो लाख ) पूर्व वर्ष की आयु । ( १० ) शीतलनाथ का ९० ( नब्बे ) धनुर् का शरीर और १ •०००० ( एक लाख ) पूर्व वर्ष की आयु । (११) श्रेयांसनाथ का ८० ( अस्सी ) धनुर् का शरीर और ८४००००० ( चौरासी लाख ) वर्ष की आयु । (१२) वासुपूज्य स्वामी का ७० ( सत्तर' ) धनुम् का शरीर और ७२००००० ( बहत्तर लाख ) वर्ष की आयु । ( १३.) विमलनाथ का ६० ( साठ ) धनुर् का शरीर और ६०००००० (साठ लाख ) वर्षों की आयु । ( १४ ) अनन्तनाथ का ५० (पचास ) धनुर् का शरीर