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३३५ एकादश मुक्कामः ॥ के विचारे पापाण क्या लड़ते लड़ाते जब मुमलमान मन्दिर और मूर्तियों को तोड़ते | फोड़ते हुए काशी के पास आए तब पूजारियों ने उस पापाण के लिङ्ग को कूप में डाल शेर वेणीमाधव को प्रमाण के घर में छिपा दिया जब काशी में कालभैरव के डर के गरे यमदूत नहीं जाते और प्रलय समय में भी काशी का नाश होने नहीं देते तो म्लेच्छों के दूत क्यों न डराये ? और अपने राजा के मन्दिर का क्यों नाश होने ३ दिया, यह सब पोपमाया है ।। ( प्रश्न) गया में श्राद्ध करने से पितरों का पाप छूटकर वहां के श्राद्ध के पु| एयप्रभाव से पितर स्वर्ग में जाते और पितर अपना हाथ निकाल कर पिण्ड लेते हैं क्या यह भी वात झूठी है ? (उत्तर) सर्वथा झूठ, जो वहां पिण्ड देने का वही प्रभाव है तो जिन पण्डों को पितरों के सुख के लिये लाखों रुपये देते है उनका व्यय गयावाल वेइयागमनदि पाप में करते हैं वह पाप क्यों नहीं छूटता है और हाथ निकलता आज कल कहीं नहीं दीखता विना पण्डों के हाथो के । यह कभी किसी धूर्त ने पृथिवी में | गुफा खोद उसमें एक मनुष्य बैठाय दिया होगा पश्चात् उसके मुख पर कुश बिछा पिण्इ दिया होगा और उस कपटी ने उठा लिया होगा किसी आंख के अन्धे गांठ के पूरे को इस प्रकार ठगा हो तो अाश्चर्य नहीं वैसे ही वैजनाथ को रावण लाया था यह भी मिथ्या बात है। ( प्रश्न ) देखो ! कलकत्ते को काली और कामाक्षा आदि देवी को लाखों मनुष्य मानते हैं क्या यह चमत्कार नहीं है ? ( उत्तर ) कुछ भी नहीं ये अधे लोग भेड़ के तुल्य एक के पीछे दूसरे चलते हैं कूप खाडे में गिरते हैं हट नहीं •सक वैसे ही एक मूर्ख के पीछे दूसरे चलकर मूर्तिपूजारूप गढे मे फैमकर दु:ख पाते हैं। (प्रश्न ) भला यह तो जाने दो परन्तु जगन्नाथजी में प्रत्यक्ष चमत्कार है एक कलेवर बदलने के समय चंदन का लकडा समुद्र में से स्वयमेव आता है। चूल्हे पर ऊपर २ सात हडे धरने से उपर २ के पहले२पकते हैं और जो कोई वहा जगन्नाथकी परसादी न खावे तो कष्ठी होजाता है और रथ आप से आप चलता पापीको दर्शन नहीं होता है इन्द्रदमन के राज्यों देवताओं ने मंदिर बनाया है कलेवर बदलने के समय एक राजा एक पडा एक बढई मरजाने आदि चमत्कारों को तुम झूठ न कर सकोगे ? ( उत्तर ) जिसने वारह वर्ष पर्यन्त जगन्नाथ की पूजा की थी वह विरक्त होकर मथुरा में आया था मुझ से मिला था मैंने इन बातो का उत्तर पूछा था उसने ये सब बातें झूठ बताई किन्तु विचार से निश्चय यह है कि जब कलेवर बदलने का समय आता है तब नौका में चन्दन की लकड़ी ले समुद्र में डालते हैं वह समुद्र की लहरियों से किनारे लग