पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/२४५

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अष्टम खमु: २३ ५ जैसे परमात्मा, जीव, जगत् का कारण तीन स्वरूप से अनादि हैं जैसे जगत की उपति, स्थिति और वर्तमान प्रवाहू अनादि है जैसे नदी का प्रवाह वैसा ही से दीखता है कभी सूख जाता कभी नहीं दीखता फिर बरसात में दीखता और उष्ण। 1 Iल रूम नहीं दखता ऐसे व्यवहार को प्रवाहप जानना चाहिये जैसे परमेश्वर के गुणकर्मस्वभाव आनादि हैं वैसे ही बस के जगत की उत्पत्ति, स्थिति, प्रलय करना भी अनादि हैं जैसे कभी ईश्वर के गुणकर्मस्वभाव का आरंम्भ और अंत

नहीं इसी प्रकार उसके कर्त्तव्य कर्मी का भी आरम्भ और अन्त नहीं ।(प्रश्न )

ईश्वर ने किन्ही जीवो को मनुष्य जन्म, किन्हीं को सिह्यादि कर जन्म, किन्ही को । ' रिण, गाय आदि पश, किन्हीं को वृक्षादि कृमि कीट पतरादि जन्म दिये हैं इस से परमात्मा में पक्षपात आता है । ( उत्तर ) पक्षपात न । आता क्योंकि उन जीवों के पूर्व सृष्टि में किये व्यवस्था करने से जो कर्म के बिना हुए कमसार जन्म देता तो पक्षपात आता । प्रश्न ) मनुष्यों की आदि सुष्टि किस स्थल में हुई ? ( उत्तर ) त्रिविष्टप अर्थात् जिस को ‘तिब्बत' कहते हैं । ( प्रश्न ) आदि सष्टि में एक जाति थी १ ! व अनेक उत्तर ) एक मनुष्य जाति थी पश्चात् ‘विजानी- हायोन्ये व दस्यव 3' यह ऋग्वेद का वचन है। श्रेष्ठों का नाम आर्यविद्वानू, देव और दुष्टों के दस्यु अर्थात् डाकू, नाम होने से आर्य और दस्यु दो नाम हुए सूखें ‘उत शूड़े उतायें' अथर्ववेद बचन आय्यर्थों में पूक्त प्रकार से ब्राह्माणक्षत्रियवैश्य और शूद्र चार गेंद हुए द्विज विद्वानों का नाम आयें और मूर्यों का नाम शूद्र और न त।अर्थात् अनाड़ी नाम हुआ । ( प्रश्रन ) फिर वे यहां कैसे आये ? ( उत्तर ) जब आर्य और दस्युओं में अर्थात् विद्वान जो देय आविद्वान् जो असुर उन हुआ , में सदा ढाई कियाजब बहुत होने लगा तब आर्य ल बखेड़ा उपद्रव लोग सब भूगोल में उत्तम इस भूमि के खण्ड को जानकर यही आकर बसे इसीसे इस देश का नाम ‘आय्यव हुआा । ( प्रश्न ) आर्यावर्त की अवधि कहांतक है ? ( उत्तर ) आसमुद्रा में पूदासमुद्रा पश्चिमात् । तयोरेवान्तर गियरथ्यवर्ल विदुषुधा ॥ २ से है सरस्वतहषइत्यादिक्नादन्तरम् । तं प्रचयने २२ से देवनिर्मित देशमर्यावर्क्स हैं मनु० २। १७है !