पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/२२०

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A C २१० हत्याकड़: भेद होता है अर्थात् जैसे पृथियादि द्रव्य आकाश से भिन्न कभी नहीं रहत | क्योंकि अन्वय अर्थात् अवकाश के बिना मूर्त द्रव्य कभी नहीं रह सकता और क्य यतिरेक अर्थात् स्वरूप से भिन्न होने से पृथक्का है वैसे ब्रह्मा के य।पक होने से जीव और पृथिवी आदि द्रव्य उससे अलग नहीं रहते और स्वरूप से एक भी नहीं होते जैसे घर के बनाने के पूर्व भिन्न २ देश में मो लकड़ी और लोहा आदि पदार्थ आकाश ही में रहते हैं जब घर बन गया व भी आकाश में हैं और जब वह नष्ट होगया अर्थात् उस घर के सब अवयव भिन्न २ देश में प्राप्त होगये तब भी भा काश में हैं अर्थात् तीन काल में आकाश से भिन्न नही हो सकते और स्वरूप से भिन्न होने से न कभी एक थे, हैं और होंगेइसी प्रकार जीव तथा सब से सार के पदार्थ पर मेश्वर में व्याप्य होने से परमात्मा से तीनों कालों में भिन्न और स्वरूप भिन्न होने से एक कभी नहीं होते । आज कल के बेत्रान्तियो की दृष्टि काणे पुरुष के समान अन्वय की अर पड के व्यक्ति कभाव से छट विरुद्ध हई ह कोई भी ९ में ऐसा द्रव्य नहीं है कि जिसमें गुणनिर्गुणता, अन्वयव्यतिरेक, सावधेवेंधम्य और विशेपण भाव न हो ।। प्रश्न परमेश्वर सगुण है व वा निर्गुण ? से उत्तर ) दोनों ! प्रकार है ( प्रश्न ) भला एक घर में दो तलवर कभी र सकती हैं । एक पदाथे में सगुणता और निषुणता कैसे रह सकती हैं १ ( उत्तर) जैसे जड़ के रूपादि गुण हैं | और चेतन के ज्ञानादि गुण जड में नहीं हैं वैसे चेतन में इच्छादि गुण है र ! रूपादे जड के गुण नहीं हैं इसलिये ‘यद्गुरौदह वर्तमान तससुग म्’ ’ ‘गणेय । यनिर्गत पृथरभूत तनिगृणम्' जो गुणों से सहित वह सगुण और जो गुणों से रहित वह निर्गुण कहता है । अपने २ स्वाभाविक गुणों से सहित और दूसरे विरोधी के गुण से रहित होने से सव पदर्थ सगुण और निर्गुण हैं कोई भी एसा पदार्थ नहीं है कि जिसमें केवल निर्गुणता वा केवल सगुणता हों किन्तु एक ही में गुणता - और निर्गुणता सदा रहती है वैसे ही परमेश्वर अपने अनन्त झान बलादि गुणों से ) सहित होने से सगुण और रूपादि जड़ के तथा ट्रेषादि जीव के गुणों से पृथक् हम से निर्गुण कहता है ( प्रश्न ) ससार में निराकार को निर्गुण और साकार को } सगुण कहते हैं अर्थात् जब परमेश्वर जन्म नहीं लेता तय निर्गुण और जव अवतार लेता है तब सगुण कहोता है ( उत्तर ) यह कल्पना केवल अज्ञानी और अव द्वानों की है जिनको विद्या नहीं होता वे पशु के समान यथा तथा वड़या करते । । - He - --