पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/२०१

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तसल्लe: 17 १८९ A n Aनीतिक है। मैं उत्तर ) क्या एक अर्थ के अनेक नाम और एक नाम के अनेक अर्थ नहीं होते ? ( प्रश्न होते हैं 1 ( उत्तर ) तो पुन: तुमको शद्दा क्यों हुई ( प्रश्न ) संसार में सुनते हैं इसलिये 1 ( उत्तर ) समर में तो सच्चा झूठा दोनों सुनने में माता के परन्तु उसको विचार से निश्चय करना अपना काम है । देखो ईश्वर की नाज़ ण दया तो यह है कि जिसने सब जीवों के न सिद्ध होने के अर्थ जगत में सकल पदार्थ कर दान दे रक्ख हैं इस से भिन्न दूसरी बड़ी दया कनों उत्पना है अब याय का फल प्रत्यक्ष दीखता है Tक सुख दु ख की व्यवस्था अधि फ । और न्यूनता से फल को प्रकाशित कर रही है इन दोनों का इतना ही भेद है कि ' ज मन में सब को सुख होने और दु रख टन की इच्छा और क्रिया करना है। वइ दया और बाह्य चेष्टा श्रन् बन्धन छदन।दि यथावत् दण्ड देना न्याय कहता है दोनों का एक प्रयोजन यह है कि सब को पाप और दुःखों से पृथ कर देना ( प्रश्न ) ईश्वर साकार है या निराकार ? ( उत्तर ) निराकार, क्योंकि जो साकार होता तो ! यापक न होता जन व्याप न होता तो सवैज्ञादि गुण भी ईश्वर में न घट सकते क्योंकि परिमित वस्तु में गुण कन्म स्वभाव भी परिमित रहते हैं तथा शीतोष्ण, तुधा, तृप । र रोग, दोपछेदनभेदन अIद से रहित नहीं होसकता ईससे यही है जो ! साकार हो तो उस नाक, कान, आंख आदि नाश्वत है कि श्र निराकार अवय का बनानेहारा दूसरा होना चाहिये क्योंकि जो संयोग से उत्पन्न होता है। जो एस उसको संयुक्त करनेवाला निरकार चेतन अवश्य होना चाहिये । कोई यहां कई f इश्वरन रेलछा स आप हंट आप अपना शरीर बना लिया तां भी वही सिद्ध नहीं हुआ कि शरीर बनने के पूर्व निराकार था इसलिये परमात्मा कभी शरीर धारण करता किन्तु निराकार होने से सब जगत् को सूक्ष्म कारों से स्थूलकार बना देता १ ( उसर ) है, परन्तु है । (प्रश्न ) ईश्वर सर्वशक्तिमान है बा नहीं जैसा तुम सर्वशक्तिमान् शब्द का अर्थ जानते हो वैसा नहीं किन्तु सर्वशक्तिमान् शब्द का यही अर्थ है कि के ईश्वर अपने काम अथत उत्पत्ति पालन प्रलय आदि और सब जीवों 1 के पुण्य पाप की यथायोग्य व्यवस्था करने’ में किंचित् भी किसी की सहायता न लेता अर्थात् अपने अनन्त समथ्र्य से दो सब अपना काम पूर्ण कर लेता है। ( प्रश्न ) हम तो ऐसा मानते हैं कि इर चाद स कर कयाकि उसक ऊपर दूसरा कांडू। नीं है | है उत्तर ) वह क्या चाहता है, जो तुम कहे कि सब कुछ चाहत और कर सकता है तो हम तुम स पूछत हैं कि परमेश्वर अपने को मर, अनेक ईश्वर