पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/१८३

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पठससुक्लास: । । ७, के युक्क अच्छे बुरे मनुष्यों का ज्ञान, शूरवीरता और करुणा भी स्थूललक्ष्य अर्थात् ऊपर २ की बातों को निरन्तर सुनाया करे वह उदासीन कहाता है ॥ ४ ॥ एव सर्वमिद रजा सह समन्य मन्त्रिःि । व्यायाम्याप्ठ्यमध्याहे भोजुमन्तपुर विशेत् ॥ थे । है । म० ७ । २१६ t पूर्वी प्रातकाल समय उठ शौचादि सम्योपासन अग्निहोत्र कर वा करा सब मन्त्रियों से विचार कर सेना में जा सब नृत्य और सेनाध्यक्षों के साथ मिल उनको अर्पित कर नाना प्रकार की व्यूहशिक्षा अर्थात् क़ायद कर करा सब घोड़े हाथी, गाय आदि का स्थान शक और अन का कोश तथा वैद्यालयधन के कोशों को देख सब पर दृष्टि नित्यप्रति देकर जो कुछ उनमें खोट हों उनको निकाल व्यायामशाला में जा व्यायाम कर मध्याह्न समय भोजन के लिये अन्त:पुर अ थत् पत्नी आदि के निवासस्थान में प्रवेश करे और भोजन सुपरीक्षितबुद्धिबल प५रक्रमवढेक, रोगनाशक, अनेक प्रकार के अन्न व्यजन पान अदे सुगन्धित मिष्ठादि अनेक रसयुक्त उत्तम करे कि जिससे सदा सुखी रहे, इस प्रकार सब राज्य के कार्यों की उन्नति किया करे ॥ प्रजा से कर लेने का प्रकार हैं 6 पचशन्ग दया रज्ञा पशुारण्ययों। ान्यतनामटमा भगषष्ठी दाद एव वा ॥ मनु० ७ । १२० ॥ व्यापार करनेवाले वा शिल्पीजनों को सुबर्ण और चट्टी का जितना लाभ हो उसमें से पचासवां भग, चावल आदि अत्रो में छठा, आठवां वा बारहवां भग लिया करे और जो धन लेवे तो भी इस प्रकार से लेने कि जिससे किसान आदि खाने पीने और धन से रहित दुःख न । क्योकि पूजा के धनाड्य होकर पाव अ रोग्य खान मे सम्पन्न रहने की बडी उन्नति होती है पूजा पान आदि पर राजा ] को अपने सन्तान के सदृश सुख देवे और प्रजा अपने पिता रज्ञा और राज सटश पुरुषों को जाने बात है कि रजा ों के राजा नईदि रिआम यह ठीक किसान १ करनेवाले हैं और राजा उनका रक्षक है जो प्रज न हां तो र। -1ा फिा और - चीनी मिल कान्फ सन्नी