सचित्र महाभारत [पहला खयड इस भारी डील-डौलवाल बृहन्नला ने एक बार महाबली अर्जुन के रथ पर सारथि का काम किया था। वह अर्जुन ही का शिष्य है और धनुर्विद्या में उनसे किसी तरह कम नहीं । जब मैं पाण्डवों के घर में थी तब मैंने यह हाल सुना था। उत्तर ने कहा :- तुम्हें तो भला यह सब हाल मालूम है । पर हम क्या समझ कर इस स्त्री-वेश- धारी युवा को सारथि बनने का अनुरोध करें। द्रौपदी ने कहा :-यदि आपकी बहन उत्तरा बृहन्नला से कहेंगी तो वह उनकी बात ज़रूर मान लंगा। तब उत्तर के आज्ञानुसार उनकी बहन कपट-वेशधारी अर्जुन के पास तुरन्त गई । उस देखते ही अर्जुन ने हँस कर कहा :- राजकुमारी ! मालूम होता है आज तुम किसी साच में हो। कहो क्या माजरा है ? हमारे पास इतनी जल्दी-जल्दी आने का कारण क्या है ? उत्तरा ने स्नेह-भरे वचनों से कहा :- बृहन्नला ! हमारे राज्य की सारी गायां का कौरवों ने छीन लिया है। कुछ दिन हुए राज- कुमार का सारथि लड़ाई में मारा गया है । इसलिए बिना मारथि के वे युद्ध में नहीं जा सकन । मैरिन्ध्री कहती है कि तुमने एक बार सारथि का काम किया है। इसलिए भाई के सारथि बन कर इस विपद सं हम लोगों का उद्वार करो। यह कह कर उत्तरा अर्जुन का अपने भाई के पास ले गई। उन्हें दूर से देखने ही उत्तर कहने लगे : -- हमने सुना है कि तुम पहले अर्जुन के सारथि थे। इसलिए हमारे सारथि बन कर हमें कौरवों के पास ले चलो। अर्जुन ने हँसी के तौर पर कहा :- क्या सारथि का काम हमें शाभा देता है ? हमाग काम ता गाना बजाना और नाचना है। कहिए तो हम वह काम सहज ही में कर सकते हैं । रथ हाँकना भला हम क्या जाने । फिर, उलटा कवच पहन कर उन्होंन एसा भाव दिखाया मानी व कवच पहनना जानत ही नहीं। इसस स्त्रियों को बड़ा कौतुक हुआ । हसत हसत उनका पेट फूल उठा। उन्हें चुप करके राजकुमार ने अर्जुन को खुद अपने हाथ से वर्म, कवच आदि पहना कर उन्हें अपना सारथि बनाया। अर्जुन का उस अद्भुत वेश में देख उत्तरा आदि कन्याओं ने कहा :- बृहन्नला ! भीष्म, द्रोण, कर्ण आदि को हरा कर, उनके सुन्दर-सुन्दर कपड़े छीन कर हमारे लिए लं आना । हम उनकी गुड़िया बनावेंगी। अर्जुन ने हँस कर कहा :- यदि राजकुमार कौरवों को हरा देंगे तो उनके चित्र विचित्र कपड़े हम जरूर ले आयेंगे । यह कह कर अर्जुन रथ पर सवार हुए और राजकुमार को कौरवों की सेना की तरफ़ ले चल । उत्तर बड़ी निर्भयता से कहने लगे :- बृहन्नला ! हमारा रथ शीघ्र ही कौरवों के पास ले चलो। उन दुष्टों को हम उचित दण्ड देंगे। यह सुन कर अर्जुन ने बड़ी तेजी से घोड़े दौड़ाये और श्मशान के पासवाले उस शमी वृक्ष के
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