पृष्ठ:सचित्र महाभारत.djvu/११

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प्ठ-संख्या मंवाद--भीम के हाथ से जरासन्ध का वध--मगध-राज्य को वशीभूत करना--- पाण्डवों का दिग्विजय--राजसूय यज्ञ का आरम्भ-हस्तिनापुर को निमन्त्रण--युधिष्ठिर की दीक्षा--कृष्ण का अर्घ्य देने का प्रस्ताव-शिशुपाल की श्रापति---इस सम्बन्ध में बात-चीत--शिशुपाल के द्वारा कृष्ण का अपमान कृष्ण का शिशुपाल को माग्ना--राजसूय यज्ञ की ममाप्ति । ७-पाण्डवां का राज्यहरण ८३ युधिष्ठिर की सभा में दुर्योधन का जाना-दुर्योधन की ईर्ष्या-शकुनि से दुर्योधन की सलाह-जुआ खेलने का प्रस्ताव--विदुर का मना करना--धृतराष्ट्र की सम्मति--जुआ खेलने के लिए युधिष्ठिर को निमन्त्रण--ग्वलने का प्रारम्भ--युधिष्ठिर की उन्मत्तता और उनका सर्वस्वहरण-- युधिष्ठिर का अपने भाइयों और द्रौपदी का दाँव पर लगाना और हार जाना--धृतराष्ट्र के पुत्रों की उन्मत्तता और द्रौपदी का सभा में लाया जाना--भीमसेन का क्रोध---कर्ण के कटु वचन द्रौपदी का वस्त्र-हरण-- भीम की दारण प्रतिज्ञा - पाण्डवों का दासत्व से छूटना हाग्न पर वनवाम की प्रतिज्ञा करके फिर जुआ खेलना -धृतराष्ट्र और गान्धारी का संवाद--धृतराष्ट्र के पुत्रों का गर्जन-तर्जन-- बदला लेने के लिए पाण्डवों की प्रतिज्ञा - पाण्डवों का वन गमन - धृतराष्ट्र की चिन्ता। ८-पाण्डवां का वनवास १८ पाण्डवों के वनवास-विषय में पुरवासियों का विलाप - ब्राह्मणों का माथ जाना- - द्रौपदी का अक्षय-स्थाली लाभ धृतराष्ट्र और विदुर में परम्पर विवाद-पाण्डवों को विदुर का उपदेश-- धृतराष्ट्र और विदुर का पुनर्मिलन . काम्यक वन में यादवों का आगमन --कृष्ण का द्रौपदी को धीरज दना--यादवों का गमन द्रौपदी के द्वारा युधिष्ठिर का तिरस्कारयुधिष्ठिर का विलाप–व्यास का उपदेश अस्त्र-प्राप्ति के लिए अर्जुन का हिमालयगमन--इन्द्र और अर्जुन का वाद- किगत और अर्जुन की कथा--महादेव का वर देना--अर्जुन को दिव्यअस्त्रों की प्राप्ति अर्जुन के विरह में पाण्डवों का दुःख - पाण्डवों की तीर्थयात्रा-प्रभासतीर्थ में श्रागमन- गन्धमादन पर्वत पर चढ़ना - घटोत्कच की सहायता से बदरिकाश्रम जाना---द्रौपदी के लिए भीम का फल हूँढन जाना हनुमान से भीम की भेंट--भीम का कुबेर के यहाँ गमन---यनों के माथ भीम का विवाद इन्द्रलोक से अर्जुन का लौटना--निवान कवच लोगों की हार-गन्धमादन मे पाण्डवों का लौट आना द्रौपदी और मत्यभामा का मंवाद-द्वैत-वन में पाण्डवों का निवास। ६-धृतराष्ट्र के पुत्रों का राज्य करना अर्जुन की अस्त्र-प्राप्ति का समाचार सुन कर धृतराष्ट्र को भय-पाण्डवों को अपना ऐश्वर्य दिखाने के लिए कर्ण और दुर्योधन की सलाह-दुर्योधन का अहीर टोले को जाना