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'धुनिक युग ५१ सम ल। =:एक समान है जोल सनेहिया =म जैम डाल में दिया । ईरहिए --बेगवती बाद में । ठंयां स्थान पर। सच्चा भजन (४) हम भज तीत में नहीं अव, ओ खि उदि नह जाहीं ।टेक । इक भजनोक नवजन है कठो, तब वह भजन में जारी है भेजनी भजन एक भी टून, वा भजन में आाधे ११। सन की सजा पी है जिनको, सो क्या नैहर आावें । इशा सच्छी रहे गगन में, बांके ज़रात म भावै !।२ा। बुंच परा सागर के मांहो, वह मा ख़ुद कहादें । लोनकी डेरी पानी में कड़वाँ से किर पाई ।।३। तेल की आार लगी निति यासर, जोति में जोति ससानी। पलखुवास जो भाव , सो औथाई ज्ञानी म४। हुमत पन्ली -आधार में हो। रहने वाली एक प्रसिद्ध चिड़िया जिसकी छाया पड़ने पर मख्य बादशाह हो जाता है । डे =इली । सच्ची बनियाई (५) कौन करे। बनियाई रो, कौन करे बनियाई टक।। त्रिकुटो में हैं भरतो मे ी, सुख मन में है गादी । दसधे द्वारे कोठी मेरीबैठ पुरुष अनादी ।१।' इंगलां पिंगला पलरा इलनाँ, लागि सुरति को ओोती । सद ससद की डांडी पक गें, तील रि भरि भोली भ२है। चांद सुरुज वोज कर रलवों , लगी तस की ढेरी । दुरिया ट्टि के बेचन लानेऐसी साहिब नेरो १५३। सतगुरु साहब किहा सियारस, मिलो राम मदियाई । पलटू के घर नौबत बाजे, निति उड़ेि होत सवाई म४। भरती =पूंजी जोती तरा के पलों की डोरी ओो डांडी से