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मध्ययुग (उत्तर) ४ निरत की नली में जो कोई । सझे तो को ली अबिचल होई ।३५। रेजा राजिक का बुनि ऊँ। ऐसे सतगुरु साहब रोके।६है। दास गरीब सई सत कोली । ताना बुनिहै अरस असोलो १७' विइंग न - चित्रेशन मार्ग । रd=ाड़ा बुनने की कंघी । खुरिया =कपड़ा लपेटने का बेलन में पान=मांडी । खाड़ो = गड जुलहों का। नाल =हरको । में जा =कपड़ा । कोलीजुलाहा, यहां साधक । रमैली अदि सनातन पंथ हमारा । जानत नाहीं यह संसारा १। पंथी संत, पंथ अलहदा । भखों बन्च पड़ा है वहदा ।२। बट दरसन सब खटपट होई । हमारा पंथ न पॉवे कोई 1३। हिन्दू सुरक कदर नहि जाने। रोज ग्यारस करै धिक ताने १४है। दोनो दीन यकीन न नासा। वे पूरब वे पचिर निदासा ५३। बुहूं दीन का बड़ा लेखा। उत्तर दक्खिन में हम देखा १६ गरीब दास हम निवं जाना। दासे छूट दसों दिख ध्यान' 1७है