यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
छठा दृश्य
स्थान--मधुबन गांव, समय--फागुनका अंत, तीसरा
पहर, गांवके लोग बैठे बातें कर रहे हैं।

एक किसान--बेगार तो सब बन्द हो गई थी। अब यह दलहाईकी बेगार क्यों मांगी जाती है?

फत्तू--जमींदारकी मरजी। उसीने अपने हुकुमसे बेगार बन्द की थी। वहीं अपने हुकुमसे जारी करता हैं।

हलधर--यह किस बातपर चिढ़ गये? अभी तो चार ही पाँच दिन होते हैं तमाशा दिखाकर गये हैं। हमलोगोंने उनकी सेवा सत्कारमें तो कोई बात उठा नहीं रखी।

फत्तू--भाई राजाठाकुर हैं, उनका मिजाज बदलता रहता है। आज किसीपर खुश हो गये तो उसे निहाल कर दिया, कल नाखुश हो गये तो हाथीके पैरोंतले कुचलवा दिया। मनकी बात है।

हलधर--अकारन ही थोड़े किसीका मिजाज बदलता है।