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संग्राम

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कि चोरीके मालका पता लगाने आये हैं।

फत्तू--अल्लाह मियांका कहर भी इनपर नहीं गिरता। देखो विचारों की खानातलाशी हो रही है।

हलधर--खानातलाशी काहे की, लूट है। उसपर लोग कहते हैं कि पुलुस तुम्हारे जान मालकी रक्षा करती है।

फत्तू--इसके घरमें कुछ नहीं निकला।

हलधर--यह दूसरा घर किसी मालदार किसानका है। देखो हांडीमें सोनेका कण्ठा रखा हुआ है। गोप भी हैं। महतो इसे पहनकर नेवता खाने जाते होंगे। चौकीदारने उड़ा लिया। देखो औरतें आंगनमें खड़ी की गई है। उनके गहने उतारनेको कह रहा है।

फत्तू--बिचारा महतो थानेदारके पैरोंपर गिर रहा है और अंजुलीभर रुपये लिये खड़ा है।

राजेश्वरी--(सलोनीसे) पुलुस वाले जिसकी इज्जत चाहे ले लें।

सलोनी--हां, देखते तो साठ बरस हो गये। इनके ऊपर तो जैसे कोई है ही नहीं।

राजे०--रुपये ले लिये, बिचारियों की जान बची। मैं तो इन सभोंके सामने कभी न खड़ी हो सकूं चाहे कोई मार ही डाले।

सलोनी--तसवीरें न जाने कैसे चलती हैं।