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चतुर्थ दृश्य
(स्थान―मधुबन। सबलसिहका चौपाल। समय―८ बजे
रात। फाल्गुनका प्रारम्भ)

चपरासी―हुजूर गांवमें सबसे कह आया। लोग जादूके तमाशेकी खबर सुनकर बहुत उत्सुक हो रहे हैं।

सबल―स्त्रियों को भी बुलावा दे दिया है न?

चप०―जी हां, अभी सबकी सब घरवालोंको खाना खिला-कर आई जाती हैं।

सबल―तो इस बरामदे में एक परदा डाल दो। स्त्रियोंको परदेके अन्दर बिठाना। घास चारे, दूध लकड़ी आदिका प्रबंध हो गया न?

चप०―हुज़र सभी चीजोंका ढेर लगा हुआ है। जब यह चीजें बेगारमें ली जाती थी तब एक १ मुट्ठी घासके लिये गाली और मारसे काम लेना पड़ता था। हुजूरने बेगार बन्द करके सारे गांवको बिन दामों गुलाम बना लिया है। किसीने भी दाम