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पांचवां अङ्क

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गया?

गुलाबी—पंखा रख दो बेटी, आज गरमी नहीं है। दालमें जरा नमक ज्यादा हो गया है, लाओ थोड़ा सा पानी मिलाकर खा लूँ।

चम्पा–मैं बहुत अन्दाजसे छोड़ती हूँ मगर कभी-कभी कम बेस हो ही जाता है।

गुलाबी-बेटी, नमकका अन्दाज बुढ़ापेतक ठीक नहीं होता, कभी-कभी धोखा हो ही जाता है।

(भृगु आता है)

आओ बेटा, खाना खा लो, देर हो रही है। क्या हुआ कञ्चन सिंहके यहां जवाब मिल गया?

भृगु—(मनमें) आज अम्मांकी बातोंमें कुछ प्यार भरा हुआ जान पड़ता है। (प्रकट) नहीं अम्मां, सच पूछो तो आज ही मेरी नौकरी लगी है। ठाकुरद्वारा बनवानेके लिये मसाला जुटाना मेरा काम तय हुआ है।

गुलाबी—बेटा, यह घरमका काम है, हाथ-पांव संभाल कर रहना।

भृगु—दस्तूरी तो छोड़ता नहीं, और कहीं हाथ मारनेकी गुञ्जाइश नहीं। ठाकुरजी सीधे दे दें तो उङ्गली क्यों टेढ़ी करनी पड़े।