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पांचवां अङ्क
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चेतनदास—रास्तेसे हटो (आगे बढ़ना चाहता है)
इन्स्पेक्टर—(हाथ पकड़कर) इधर आइये, इस सीनाजोरीसे काम न चलेगा।
जोरसे धक्का मारकर गिरा देता है)
दारोगा—गिरफ्तार कर लो। रहजन है।
चेतन—अगर कोई मेरे निकट आया तो गर्दन उड़ा दूँगा।
चेतनदास उसके हाथसे पिस्तौल छीनकर उसकी
दारोगा—स्वामीजी खुदाके वास्ते रहम कीजिये। ताज़ीस्त आपका गुलाम रहूँगा।
चेतनदास—मुझे तुझ जैसे दुष्टोंकी गुलामीकी जरूरत नहीं। (दोनों सिपाही भाग जाते हैं। थानेदार चेतनदासके पैरोंपर गिर पड़ता है) बोल कितना रुपये लेगा।
थानेदार—महाराज, मेरो जो बख्श दीजिये। जिन्दा रहूँगा तो आपके एकबालसे बहुत रुपये मिलेंगे।
चेतनदास—अभी गरीबोंको सतानेकी इच्छा बनी हुई है। तुझे मार क्यों न डालूं। कमसे कम एक अत्याचारीका भार तो पृथ्वीपर कम हो जाय।