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हलधर—वह मारा, एक और गिरा।

एक डाकू—भाई तुम जीते हम हारे,शिकार क्यों भगाये देते हो। मालमें आधा तुम्हारा।

हलधर—तुम हत्यारे हो, अबला स्त्रियोंपर हाथ उठाते हो। मैं अब तुम्हें जीता न छोडूंगा।

डाकू—यार १० हजारसे कमका माल नहीं है। ऐसा अवसर फिर न मिलेगा। थानेदारको १००) २००) देकर टिर्का देंगे। बाकी सारा अपना है।

हलधर—(लाठी तानकर) भाग जाओ नहीं तो हड्डी तोड़के रख दूंगा।

(दोनों डाकू भाग जाते हैं। हलधर कहारोंको बुलाता है जो
एक मन्दिर में छिपे बैठे हैं। पालकी उठती है।)

ज्ञानी—भैया आज तुमने मेरे साथ जो उपकार किया है इसका फल तुम्हें ईश्वर देंगे, लेकिन मेरी इतनी बिनती है कि मेरे घरतक चलो। तुम देवता हो, तुम्हारी पूजा करूँगी।

हलधर—रानीजी यह तुम्हारी भूल है। मैं देवता हूँ, न दैत्य। मैं भी घातक हूं। पर मैं अबला औरतोंका घातक नहीं, हत्यारों हीका घातक हूं। जो धनके बलसे गरीबों को लूटते हैं, उनकी इज्जत बिगाड़ते हैं, उनके घरको भूतोंका डेरा बना देते हैं। जाओ, अबसे गरीबोंपर दया रखना, नालिस, कुड़की, जेहल,