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तीसरा अङ्क

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दूसरा—भाग्यमें आराम बदा होता तो यह कुकरम न करने पड़ते। कहीं सेठोंकी तरह गद्दी मसनद लगाये बैठे होते। हमें चाहे कोई खजाना ही मिल जाय पर आराम नहीं मिल सकता।

तीसरा—कुकरम क्या हमीं करते हैं, यही कुकरम तो संसार कर रहा है। सेठजी रोजगारके नामसे डाका मारते हैं, अमले घूसके नामसे डाका मारते हैं, वकील मेहनतानाके नामसे डाका मारता है। पर उन डकैतोंके महल खड़े हैं, हवागाड़ियोंपर सैर करते फिरते हैं, पेघवान लगाये मखमली गद्दियोंपर पड़े रहते हैं, सब उनका आदर करते हैं, सरकार उन्हें बड़ी २ पदवियां देती है। तो हमी लोगोंपर विधाताकी निगाह क्यों इतनी कड़ी रहती है?

चौथा—काम करनेका ढङ्ग है। यह लोग पढ़े लिखे हैं इसलिये हमसे चतुर हैं। कुकरम भी करते हैं और मौज भी उड़ाते हैं। वही पत्थर मन्दिर में पुजता है और वही नालियोंमें लगाया जाता है।

पहला—चुप, कोई आ रहा है।

(हलधरका प्रवेश, गाता है।)

सात सखी पनघट पर आईं कर सोलह सिंगार
अपना दुख रोने लगीं, जो कुछ बदा लिलार।
पहली सखी बोली सुनो चार बहनों मेरा पिया सराबी है,