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दूसरा अङ्क

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इतनी टेढ़ी निगाह की?

फत्तू--पहले सबको गिरफ्तार कराना चाहते थे, पर बादको सबलसिंहने मना कर दिया। दावा दायर करनेकी सलाह थी। पर बड़े ठाकुर तो दयावान जीव हैं, दावा भी मुल्तवी कर दिया, इधर लगान भी मुआफ कर दी। मुझसे जब चपरासीने यह हाल कहा तो जैसे बदनमें आग लग गई। सीधे कंचनसिंहके पास गया और मुंहमें जो कुछ आया कह सुनाया। सोच लिया था करेंगे क्या, यही न होगा अपने आदमियोंसे पिटवावेंगे तो मैं भी दो-चारका सिर तोड़के रख दूंगा, जो होगा देखा जायगा। मगर बिचारेने जुबान तक नहीं खोली। जब मैंने कहा, आप बड़े धर्मात्माकी पूँछ बनते हैं, सौ दो सौ रुपयोंके लिये गरीबों को जेहलमें डालते हैं इस आदमीका तो यह हाल हुआ, उसकी घरवालीका कहीं पता नहीं, मालूम नहीं कहीं डूब मरी, या क्या हुआ, यह सब पाप किसके सिर पड़ेगा, खुदा तालाको क्या मुंह दिखाओगे तो बिचारे रोने लगे। लेकिन जब रुपयों की बात आई तो उस रकममें एक पैसा भी छोड़नेकी हामी नहीं भरी।

सलोनी--इतनी दौड़धूप तो कोई अपने बेटेके लिये भी न करता। भगवान इसका फल तुम्हें देंगे।

हरदास--महाजनके कितने रुपये आते हैं?