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आपकी हो गई। मुझे भोग विलासकी इच्छा नहीं, मैं केवल आपको चाहती हूं। आप मुझे झोपड़ी में रखिये, मुझे गजी गाढ़ा पहनाइये मुझे उसमें भी सरगका आनन्द मिलेगा। बस आपकी प्रेम-दिरिष्ट मुझार बनी रहे।

सबल--(गर्व के साथ) मैं जिन्दगीभर तुम्हारा रहूंगा और केवल तुम्हारा। मैंने उच्चकुलमें जन्म पाया। घरमें किसी चीज़की कमी नहीं थी। मेरा पालन-पोषण बड़े लाड़ प्यारसे हुआ जैसा रईसोके लड़कों का होता है। घरमें बीसियों युवती महरियाँ, महाराजनें थीं। उधर नौकर-चाकर भी मेरी कुवृत्तियोंको भड़काते रहते थे। मेरे चरित्रपतनके सभी सामान जमा थे। रईसोंके अधिकांश युवक इसी तरह भ्रष्ट हो जाते हैं। पर ईश्वर- की मुझपर कुछ ऐसी दया थी कि लड़कपनहीसे मेरी प्रवृत्ति विद्याभ्यासकी ओर थी और उसने युवावस्थामें भी मेरा साथ न छोड़ा। मैं समझने लगा था प्रेम कोई वस्तु ही नहीं, केवल कवियोंकी कल्पना है। मैंने एकसे एक यौवनवती, सुन्दरियाँ देखी है पर कभी मेरा चित्त विचलित नहीं हुआ। तुम्हें देखकर पहली बार मेरी हृदय-वीणाके तारों में चोट लगी। मैं इसे ईश्वरकी इच्छाके सिवाय और क्या कहूं। तुमने पहली ही निगाहमें मुझे प्रेमका प्याला पिला दिया, तबसे आजतक उसी नशेमें मस्त था। बहुत उपाय किये, कितनी ही खटाइयाँ खाई