पृष्ठ:संगीत विशारद.djvu/४५

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  • सङ्गीत विशारद *

- - - मध्यम १० पत्रिका ११ । प्रसारिणी १२ / प्रीति १३ । मार्जनी १४ | क्षिती पचम पचम घेवत १६ सदीपिनी . १७ ( अलापिनी १८ मदती रोहिणी २० । रम्या २१ उपा धैवत निपाट २२ क्षोभिणी | निपाद यह तो हुआ श्रुतियों का शुद्ध स्वर विभाजन। अब रहे ५ विकृत स्वर । उनके लिये यह नियम है कि जिस श्रुति पर शुद्ध स्वर कायम हुआ है, उससे तीसरी श्रुति पर आगे वाला विकृत स्वर आयेगा। इस प्रकार शुद्ध स्वरों से दो-दो श्रुति पर विकृत स्वरों की स्थापना करने पर यह तालिका बनेगी २२ श्रुतियों पर आधुनिक पद्धति के १२ स्वरों की स्थापना न० श्रुति नाम स्वर स्वर आदोलन | सा (अचल) ।२४० orrorm १ । तीत्रा कुमुद्वती । मटा' छंदोबती दयावती . रजनी रे(कोमल) (२५४ २ ( तीव) २७० x ur 9iru ग (कोमल) ग (तीन) सम ३०१४४ रौद्री क्रोधी १० वञिका २१ | प्रसारिणी . १२/ प्रीति म (कोमल) | ३२० में (तीन) |३३८१४