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(६१ . ) भजन सूरदास राग देस ताल तीन समागम और कहा कीजै। रे मन, कृष्णनाम कहि लीजै। गुरु के वचन अटल करि मानहि, साधु कीजै पढ़िये गुनिये भगति भागवत, कार्य कृष्णनाम विनु जनमु वादिही, विरथा काहे कृष्णनाम रस वयो बात है, तृपावन्त 'सूरदास' हरि सरन ताकि.ये, सफल करि लीजे॥ जीज। पीजै । जनम