पृष्ठ:संगीत-परिचय भाग २.djvu/५१

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( ५८ ) भजन मीरा पराग भैरवी तल तीन राम रस पीजे, मनुआं राम नाम रस पीजे । तज कुसंग सतसंग वैठ नित, हरि चरचा सुनि लीजे ॥१॥ काम क्रोध मद लोभ मोह कूँ, वहा चित से 'मोरा' के प्रमु गिरधर नागर, ताहि के रंग दीजे। भीजे ॥२॥ राग भैरवी ताल तीन स्थाई ३ स प प प - धु नी सं मना र स - पनी धु प ग प म पी जे मनु ी रे ग म र स ग - रेस मना नी नी सग त ज कु सं stol म रे स स त ले -