पृष्ठ:संगीत-परिचय भाग २.djvu/४३

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नी॒⁠ ध॒⁠ प —
रे — — —

नी॒⁠ ध॒⁠ प प
नि स दि न

ध॒⁠ प स स
रे — मैं तो


रें — रें सं
गा — ये गा

स — रे म
लो — क ला


_गं रें सं सं
— ये ह रि

— म प प
— ज त जि


रें — नी॒ — सं
के — गु न

सं — नी॒ —
ना — ची —



भजन मीरा

राग आसावरी

श्री गिरधर आगे नाचूंगी।

नाच नाच पिया रसिक रिझाऊं, प्रेमी जन को जाचूंगी।

प्रेम प्रीत के बाँध घुँघरू, सूरत की कछनी काछूंगी।

लोक लाज कुल की मर्यादा, या में एक न राखूंगी।

पिया के पलंगना जाय बैठूंगी, मीरा हरी रंग राचूंगी।