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भजन नं० २
( सरगम देखो भजन नं० १)
- उठ जाग मुसाफिर भोर भई,
- अब रैन कहां जो सोवत है।
- जो जागत है, सो पावत है,
- जो सोवत है सो खोवत है।
- टुक नींद से अखियां खोल जरा,
- और अपने प्रभू से ध्यान लगा।
- यह प्रीत करन की रीत नहीं,
- प्रभु जागत है, तू सोवत है।
- जो कल करना सो, आज कर ले,
- जो आज करना सो, अब कर ले।
- जब चिड़ियन ने चुग खेत लिया,
- फिर पछताये क्या होवत है।
- नादान भुगत करनी अपनी,
- ऐ पापी ! पाप में चैन कहां ?
- जब पाप की गठरी सीस धरी,
- फिर सीस पकड़ क्यों रोवत है ?