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राग बिलावल

( तीन ताल )

भजन कबीर

बीत गये दिन भजन बिना रे ।
बाल अवस्था खेल गँवायो,
जब जवानी तब मान घना रे ॥१॥
लाहे कारन मूल गँवायो ।
अजहुँ न गई मन की तृष्ना रे ॥२॥
कहत 'कबीर' सुनो भई साधो ।
पार उतर गये संत जना रे ॥३॥
राग बिलावल

(ताल तीन मात्रा १६)

स्थाई

समतालीखालीताली


x
धा धिं धिं धा




रे ग म प
भ ज न बि



धा धि धिं धा




ग म रे स
ना — रे —



धा तिं तिं ता

प नी सं रे
बी — त ग



ता धिं धिं धा

नी सं ध प
ये — दि न