पृष्ठ:संगीत-परिचय भाग १.djvu/३८

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(४१)
राग बिलावल

(ताल तीन मात्रा १६)
शब्द गुरु नानक (श्री गुरू ग्रन्थसाहब)

स्वामी सरन परियो दरवारे।
कोटि अपराध खण्डन के दाते,तुझ बिन कौन उभारे ।।
खोजत खोजत बहु परकारे, सरब अरथ बिचारे ।
साध संग परम गत पाइये, माया रच बन्धारे ।।
चरन कमल संग प्रीत मन लागी, सुरजन मिले प्यारे।
"नानक" आनन्द करे हर जप जप, सगले रोग निवारे।।
राग बिलावल

(तीन ताल मात्रा १६)

स्थाई


समतालीखालीताली


x
धा धिं धिं धा

सं — ध प
स्वा — मी —

स — ग म
को — टि अप

प — नी नी
तु झ बि न



धा धि धिं धा

म ग म रे
स र न प

प — नी नी
रा — ध खं

सं — सं सं
कौ — न उ



धा तिंन तिंन ता

ग म प म
रि यो द र

सं — सं —
ड न के —

पनी संरें संनी धप
भा — — —



ता धिं धिं धा

ग म रे स
बा — रे —

नी रें सं —
दा — ते —

म — ग —
रे — — —