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( ३६ )
- अन्तरा
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ताल तीन
शब्द गुरु नानक (श्री गुरू ग्रन्थसाहब)
- सब कुछ जीवत को व्यौहार ।
- मात-पिता, भाई, सुत, बांधप,
- अर पुन गृह की नार ||
- तन ते प्रान होत जब न्यारे,
- प्रेत प्रेत पुकार ।
- आध घड़ी कोऊ नहिं राखै,
- घरतें देत निकार ।।
- मृग-तृस्ना ज्यों जग रचना यह,
- देखौ हृदैं बिचार ।
- कह 'नानक' भजु राम नाम नित,
- जां ते होत उधार ॥
- मात-पिता, भाई, सुत, बांधप,