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वैधरी-चौधरानी . नौकर-नौकरानी (४) कई एक वर्णवाचक और संबंध-वाचक संज्ञाओं में | हो जाता है ।। आने | पॉडे--पॅड़ाइन । ठाकुर---ठकुराइन , मिसर-मिसराइन बाबू-बबुआइन , पाठक-पठकाइन । लाला---ललाइन (५) उपनाम-वाचक संज्ञाओ के अंत में आइन' लगाया | जाता है ।। ( अ ) आजकल कुमारी के नाम के साथ उसके पिता का और । विवाहिता स्त्री के नाम के साथ उसके पति का पुल्लिग उपनाम जोड़ने | की प्रथा प्रचलित है; जैसे, राजकुमारी सत्यवादी शर्मा, श्रीमती सुभद्राकुमारी चौहान | कभी-कभी पति के उपनाम का स्त्री लिग भी उपयोग में आता है; जैसे, श्रीमती सरला देवी चौधरानी । 'रस्सा--रस्सी डिब्बा----डिब्बी, डिबिया गगरा---गगरी फोड़ा-फुड़िया 1 घंटा-घंटी लोटा-लुटिया | ( ६ ) कभी-कभी पदार्थ-वाचक अकरात वा अकारांत संज्ञाओं में * दीनता प्रकट करने के लिये ६६इ वा इया’ जोड़ते हैं। ये संज्ञाएँ ३) ऊनवाचक कहाती हैं ( अंक-१५८)। (७) कई-एक स्त्रीलिंग संज्ञाओ में प्रत्यय लगाकर पुल्लिंग बना | भेड़-भेड़ा मैं-मैंसा न-बहनोई }--ननदोई