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स्त्रीलिंग (१) नदियों और झीलों के नाम; जैसे, गंगा, जमुना, नर्मदा गोदावरी, सॉभर, चिल्का ।। ( २ ) तिथियोके नाम; जैसे परिवा, दूज, तीज चौथ, पूनों, अमावस। (३) नक्षत्रों के नाम; जैसे, अश्विनी, भरणी, कृचिका, रोहणी आद्र, अश्लेषा ।। (४) किराने के नाम; जैसे, लौंग, इलायची, बादाम, सुपारी केसर, दालचीनी ।। अप०---कपूर, तेजपात । (५) भोजनो के नाम; जैसे, रोटी, पूरी, कचौरी; खीर, दाल, खिचड़ी। अप०-भात, रायता, लड्डू, हलुवा ।। १६४--कोई-कोई संज्ञाएँ, दोनो लिंगों में आती हैं; इसलिये उन्हें उभयलिंग कहते हैं। उभयलिंग संज्ञाओ के कुछ उदाहरण ये हैं- आत्मा, कलम, विनय, गड़बड़, बर्फ, घास, समाज, चलन । १६५--हिदों में अधिकांश शब्द संस्कृत से आए हैं और तत्सम * तथा तद्भव ' रूपों में प्रचलित हैं। इनमें से कई शब्दो का मूल लिंग हिंदी में बदल गया है; जैसे, तत्सम शब्द संस्कृत-लिंग हिंदी-लिंग अग्नि ( आग ) स्त्री० नपुसक लिंग स्त्री० जय न० स्त्री ०

  • जो सस्कृत शब्द अपने शुद्ध रूप मे आकर हिंदी में प्रचलित हैं वे तत्सम

कहाते है, जैसे, राजा पितन, सध्या, उपासना, विकार, समाचार ।।

  • जो संस्कृत शब्द बिगडे रूप में आकर हिंदी में प्रचलित है वे तद्भव कहे जाते

है; जैसे भाई, (भ्राता), बहिन ( भगिनि ), सॉझ ( संध्या ), सेज ( शैया ), घर ( गृह ), समधी ( संवधी ' आयु