पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/९३

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
( ८३ )

| ( ८३ ) (२) उफरांत संज्ञाएँ; वायु, रेणु, मृत्यु, वस्तु, ऋतु ।। अप०–मधु०, अश्रु, तालु, तरु । (३ ) जिनके अंत में ति, धि वा नि होती है; जैसे, गति, मति, शक्ति, वृद्धि, सिद्धि, हानि, ग्लानि ।। (४) जिनके अंत में इ होती है; जैसे, छवि, राशि, रुचि, केलि, मणि, वीथि ।। अप०--वारि, गिरि, आदि, वलि ।। (५) इमा प्रत्ययांत संज्ञाएँ; जैसे, महिमा, गरिमा, कालिमा, लालिमा । (६) ता प्रत्ययांत भाववाचक संज्ञाएँ; जैसे, नम्रता, लघुता, सुंदरता, प्रभुता, मूर्खता, सहायता । उर्दू संज्ञाएँ पुल्लिंग ( १ ) जिनके अंत में अव होता है; जैसे, गुलाच, जुलाब, हिसान, जवाब, तेजाब, असबाब ? अप०-किताब, मिहराज, शराब, तान्न । ' ( २ ) जिनके अंत में आर, आल वा न होता है; जैसे, बाजार, इश्तिहार, सवाल, हाल, मकान, सामान । ' अप०---दूकान, सरकार, तकरार । | ( ३ ) जिनके अंत में ह रहता हैं जो हिंदी में ओ हो जाता है; जैसे, परदा, गुस्सा, रास्ता, चश्मा, तमगा, ( हिं०-तर्गमा ) किस्सा । स्त्रीलिंग , | (१) इकारांत भाववाचक संज्ञाएँ; जैसे, गरीबी, ईमानदारी, गरमी, सरदी, बीमारी, चालाकी । ( २ ) शकारांत संज्ञाएँ; जैसे, नालिश, कोशिश, लाश, तलाश, मालिश, परवरिश ।। अप०--तोश, होश ।