पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/९२

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| ( ८२ ) ६४) ऊकारांत, संज्ञाएँ; जैसे, बालू, व्यालू, दारू, लू, झाड़, गेरू । अप०-आलू, ऑसू, टेसू , निब्बू ।। (५) तकारांत संज्ञाएँ, जैसे, रात, छत, बात, बचत, भीत । अप०---भात, दॉत, खेत, सूत । ( ६ ) सकारांत संज्ञाएँ, जैसे, प्यास, मिठास, बास, बकवास; फॉस, सॉस | अप६---कॉस, बॉस, निकास । । (७) कृदंत की अकारात वा नकारत संज्ञाएँ; जैसे, लूट, समझ, दौड़ रगड, सूजन, उलझन, जलन, रहन । (८) जिन भाववाचक संज्ञाओं के अंत में ट, वट वा हट, होता है; जैसे झंझट, पुट, सजावट, बनावट, घबराहट, चिकनाहट । संस्कृत संज्ञा पुल्लि (१) जिन संज्ञाओं के अंत में आर” आय, वा आस हो जैसे, विकार, विस्तार, अध्याय, विकास, ह्रास । अप०----सहाय और आय । ( २ ) जिन संज्ञाओं के अंत में ज वा द हो; जैसे, जलज, सरोज, पिंडज, जलद, सुखद, धनद । | ( ३ ) त प्रत्ययांत संज्ञाएँ; जैसे, मत, स्वागत, गीत, चरित, गणित लिखित । (४) जिनके अंतमें त्र होता है; जैसे चित्र, चरित्र, पत्र, नेत्र, पात्र । (५) नांत संज्ञाएं, जैसे, पालन, पोपण, नयन, वचन, शासन, दमन । (६) जिन भाववाचक संज्ञाओं के अंत में त्व, त्य, व अथवा य होता है, जैसे, सतीत्व, वहुत्व, नृत्य, कृत्य, लाघव, गौरव, सौदर्य, माधुर्य, स्वास्थ्य स्त्रीलिंग | ( १ ) अकारांत वा नकारांत संज्ञाएँ, जैसे, दया, माया, कृपा, लज्जा, प्राथना, वेदना, प्रस्ताव ।