पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/९०

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( ८० ) किसानों को बड़ा श्रम करना पड़ता है। नौकर आज जायगा । वह अचानक गया और अचानक आया। उसे बड़ी कठिनाई हुई। यह काम कठिन था | उसके लड़के और लड़कियाँ गई । तुम कहाँ रहते हैं ? मैं वहाँ नहीं था । हाय ! उसका हाथ टूट गया । 9 दूसरा पाठ संज्ञा का लिई लड़का छोटा था ।। लड़की छोटी थी । बलिक आया । बालिका आई ।। घोड़ा घास खाता है । घाडी घास खाती है। बाघ जंगल में है । । बाघिन जंगल में है। १५६-ऊपर बाईं ओर लिखी रेखाकित संज्ञा से प्राणियों की पुरुष-जलि का बोध होता है; और दाहिनी ओर लिखी रेखांकित सज्ञाओं से स्त्री-जाति का अर्थ पाया जाता है । पुरुप-बोधक संज्ञा को व्याकरण में पुल्लिंग और स्त्री-बोधक संज्ञा को स्त्री-लिंग कहते हैं। प्राणियों का जोड़ा-अथवा पदार्थों की जाति बनाने के लिए शब्दो में जो रूपांतर होता है उसे लिंग कहते हैं। बहुधा पुरुषवाचक संज्ञा ही को, रूप बदलकर, स्त्री-वाचक संज्ञा बनाते हैं; जैसे, लडका --लड़की घोड़ा---घोड़ी। बालक-बालिका बाघ--बाधिन १६०-हिंदी प्राणिवाचक संज्ञाओं के समान अप्राणिवाचक संज्ञाएँ। भी पुलिग वा स्त्रीलिंग होती हैं; जैसे, पुल्लिंग-कपड़ा, घर, पत्थर, पानी, पेड़ । स्त्रीलिंग - टोपी, छत, चट्टान, ओस, जड़ । '