पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/८३

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। ७३) क्यों ! फिर तो ऐसा न कहोगे ? १६२--कभी-कभी वाक्यांश में अथवा पूरा वाक्य विस्मयादिबोधक के समान आता है; जैसे, बहुत अच्छा ! धन्य महाराज ! क्यों न हो ! क्या बात है ! १५३---जब विस्मयादिबोधक का उपयोग संज्ञा के समान होता है, उस समय वह विस्मयादिबोधक नहीं रहता है; जैसे, आपको धन्य है । वहाँ हाय-हाय मची है। उनकी वाह-वाह हुई । १५४-नीचे कुछ विस्मयादिबोधकों के विशेष अर्थ और प्रयोग , लिखे जाते हैं । क्या---प्रश्नवाचक सर्वनाम है; पर इसका उपयोग प्रश्नवाचक क्रिया विशेषण के समान भी होता है; कैसे, क्या तुम वहाँ जाओगे ! जब इससे तीन मनोविकार सूचित होता है तब यह विस्मयादिबोधक होता है; जैसे, क्या ! तुम अभी तक वहाँ नहीं गए ? | अरे, अजी----'अरे' से अनादर और अजी’ से अदिर सूचित होता है । 'अरे' की स्त्रीलिंग ‘अरी है। हॉ---यह प्रश्न के उत्तर में पूरे वाक्य के बदले आता है; जैसे, क्या तुम वहाँ जाओगे ? हाँ। कोई-कोई वैयाकरण इसे क्रिया-विशेषण मानते है; पर इसका संबंध क्रिया अथवा दूसरे शब्द से नहीं • होता, इसलिये इसे विस्मयादिबोधक मानना उचित है । | अच्छा, भला---ये शब्द विशेषण हैं; पर इनका उपयोग हाँ के समान स्वीकार के अर्थ में भी होता है; जैसे, अच्छा, एक बात सुनो। । भला, तुमने उसे देखा भी है; इस अर्थ में शब्द विस्मयादिबोधक हैं । अभ्यास १--निम्नलिखित वाक्यों में विस्मयादिबोधक और उनके भेद बताओ-- | वाह ! कैसा अच्छा गाना है ! अहा ! आप कब आए १, ओहो ! | ये तो स्वामी हैं। छिः ! हम ऐसा काम नहीं करते। शाबाश ! छोटे