पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/८२

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( ७२ ) वाँ पाठ विस्मयादि-बोथक के भेद वाह ! तुम यहाँ घूम रहे हो ! हाय ! दुष्टों ने राजा को मार डाला । अरेरे ! मेरी छाती में दर्द हो रहा है । छिः ।। १४९ऊपर लिखे वाक्यो में रेखांकित शब्द कोई तीव्र भाव या मनोविकार सूचित करते हैं और वाक्य के किसी दूसरे शब्द से संबंध नहीं रखते । वे शब्द पशुओं की ध्वनियों से मिलते हैं। इन्हें विस्मयादिबोधक कहते हैं । | १५००विस्मयादिबोधक भिन्न-भिन्न प्रकार के मनोविकार सूचित करते हैं; जैसे, विस्मय ( आश्चर्य } वाह ! ईं ! एँ ! ओ हो ! वाह वा ! इर्षअहा ! आहा ! अहह ! धन्य ! शाबाश ! शोक-हाय ! हा हा ! ओह ! ऊह ! हाय हाय ! क्रोध-चुप ! हट ! यो ! अवे ! स्वीकार---ठीक । भला ! हाँ ! जी ! अच्छा ! साधन-अजी ! अरे ! रे ! लो ! हे ! १५१- कई एक संज्ञाएँ, विशेषण, क्रियाएँ और क्रिया-विशेषण विस्मयादिबोधक के समान उपयोग में आते हैं; जैसे, भगवान् ! भारतवर्ष में गूंजे ईभारी भारती ! राम-राम ! कैसा अनर्थ हो गया ! भल ! वह आपके पास कैसे आया ? इट! अब ऐसा मत कहना !