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नौकर परिश्रम करता है, इसलिये कि उसे पैसा मिले। चाहे---जब यह शब्द कोडे से आता है, तब विभाजन समुच्चय- चोधक होता है, जैसे, आप चाहे जबलपुर में रहें चाहे नागपुर में । जब इसके साथ दूसरे वाक्य में “परंतु आता है, तवे यह संकेत-वाचक समुच्चप-बाधक होता है; जैसे, चाहे वह न आवे, परंतु मै अवश्य आऊँगा । चाहे बहुदा संभव वाचक सर्वनाम, संबंध-वाचक विशेषण और सबंध-वाचक क्रिया-विशेषण की विशेषता बतलाता है; जैसे, यहाँ चाहे वो कहने पर बहाँ कुछ न कह सकोगे । तुम चाहे जितनी बातें कहो, पर मैं उनपर ध्यान न दूंगा । तुम चाहे वह रहो, मैं तुमसे अवश्य मिलुगा । - अयाच १-निम्नलिखित क्यों में समुच्चय-चोधक और उनके भेद बताया- सवेरा हु और सूरज निकला । न आप आए न चिट्ठी भेजी ! वह देखने में तो सीधा है पर उसके पेट में दॉत है। तुम आओगे कि नहीं ? इसने कहा ॐि मैं जाऊगा । वे चाहे रहें, चाहे जावें । वह इस लिये आया है कि आप उससे कुछ पूछे । मैं इसलिए आया हूँ कि अपने मुझे बुलाया था ! जो मैं जानता कि आप न मिलेंगे; तो मैं कभी न आता। पिता पुत्र को लाख समझाता है, पर यह उसकी बातें नहीं मानता है। प्रजा ने राजा के विरुद्ध पुकार मचाई क्योंकि उसपर अत्याचार हुआ था। कुछ कमी नहीं तो भूख सरोगे । लडके ने अभ्यास नहीं किया, इसलिये वह नापास हो गया । या तो मैं जाऊग या वह आवेगा । ३---नीचे लिखे दो वाक्यो को उपर्युक्त समुच्चय-चोधकों के द्वारा जो-~- मैंने उसे बुलाया----वह अभी तक न आया ! चई भाग गया---उसे चोर का दर लगा ।