पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/७९

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और धीरे चलो ( क्रिया-विशेषण ) जब इसका प्रयोग समुच्चय-बोधक के समान होता है, तब यह साधा- रण अर्थ के सिवा नीचे लिखे विशेष अर्थों में भी आता है- (१) समकालीन घटनाएँ; जैसे, आप गए और विपत्ति आई---- (२) नित्य संबंध, मैं हूँ और आप हैं। ( ३ ) धमकी या तिरस्कार; जैसे, फिर मै हूँ और वह है। तुम बानो और तुम्हारा काम जाने ।। कि--यह समुच्चय-चोधक कई अर्थों में आता है। ( क ) संयोजक; जैसे, थोड़ी दूर गया कि एक आदमी मिला ।। ( ख ) विभाजक; जैसे, आप सुनते हैं कि नहीं ? (ग ) स्वरूप-वाचक; जैसे, उसने कहा कि मैं जाऊँगा। (घ ) कारण-वाचक जैसे, वह इसलिये आया है कि उसे रुपयों की जरूरत है। ( ङः ) उद्देश्य-वाचक; जैसे, वह इसलिये आया है कि आपसे मिले। | जो = यह शब्द संबंध-वाचक सर्वनाम भी हैं; जैसे, जो आया | है सो जायगा । जब यह समुच्चय-बोधक होता है तब यदि तथा • *कि के बदले आता है; जैसे,

  • ( **यदि के बदले ) जो तुम आओगे चलूगा ।

| ( “कि” के बदले ) आपने ठीक किया जो मुझे सूचना दे दी है। | ऐसा करो जो उसके प्राण बचें ।। इसलिये--यह परिणाम-वाचक; समुच्चय-बोधक है; पर कभी-कभी इसका प्रयोग क्रिया-विशेषण के समान होता हैं; जैसे राम इसलिये बन को गए कि उनके पिता ने आज्ञा दी थी। जब इसलिये” के साथ “कि” का योग होता है तब “इसलिये-कि' संयुक्त समुच्चय-बोधक हो जाता है। | और वह कारण-वाचक तथा उद्देश्य-वाचक दोनों प्रकार, का हो जाता है। । मनुष्य को बड़ो का कहना मानना चाहिए, इसलिये कि वे लाभ | की बात कहते हैं ।