पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/७८

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६८ ) { २ } कारण-यावकये अव्यय एक वाक्य का कारण दूसरे वाक्य से सूचित करते हैं; जैसे, लड़की आज नहीं आई, क्योकि उसकी माँ बीमार हैं। मैंने तुम्हें इसलिये पुकार था कि तुम रास्ता भूल गये थे । मैं वहाँ गया था इस लिये कि आपने मुझे भेजा था ।। ( ३ ) उद्देश्य-वाचक---इन अव्ययों से एक वाक्य का निमित्त वा फल दूसरा वाक्य सूचित करता है; जैसे, हम तुम्हे वृंदावन भेजा चाहते हैं कि तुम उनका समाधान कर आओ । हमने उन्हें इसलिये बुलाया है कि भेंट हो जाय | नौकर परि- श्रम करता है, इसलिये कि उसे पैसा मिले । चिट्टियों की रजिस्टरी की जाती है ताकि वे खो न जायें । वहाँ ऐसी सद पड़ती है कि पानी मकर पत्थर है। जाता है। (४) संकेत-वाचक---ॐ अव्यय एक वाक्य में कोई संकेत (शच) प्रकट करते हैं और दूसरे वाक्य में उसका फल बताते हैं । ये अव्यय जोड़े आते हैं, जैसे, जो तु मेरी बात माने तो तेरा भला होगा । यदि मैं स्वस्थ होता तो अवश्य आपकी सहायता करता । कहीं कोई देख लेगा तो बड़ी दुर्दशा होगी । अगर आप आवेगे तो काम बन जायेगा | यद्यपि-तथापि और 45चाहे-पर भी संकेत-वाचक समुच्चय-बोधक हैं, पर इससे कुछ विरोध सूचित होता है, जैसे, यद्यपि हम दीन हैं तथापि धर्म-हीन नहीं हैं। यद्यपि मैने उनसे निवेदन किया तो भी वे सदस्य न हुए। चाहे धन चला जावे, पर धर्म न जाना चाहिए। १४८-नीचे कुछ समुच्चय-बोधको के विशेष अर्थ और प्रयोग लिखे जाते हैं--- और---यह शब्द सर्वनाम, विशेषण और क्रिया-विशेषण भी होता है, जैसे, और को मत बुलाओ ( सर्वनाम ) और दूध चाहिये ( विशेषण )