पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/७१

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१३३–अर्थ के अनुसार संबंध-सूचकों के नीचे लिखे भेद होते हैंकालवाचक-अनंतर, उपरात, पूर्व, लगभग, बाद । स्थान-वाचक-तले, बीच, परे, किनारे, सामने । दिशा-वाचक--ओर ( तरफ ), आसपास, पार, आरपार, प्रति । साधन-वाचक---द्वारा, जरिए, मारफत, सहारे, बल ।। कार्य-कारण-वाचक-लिये, वास्ते, निमित्त, मारे, कारण । विषय-वाचक-विषय, बाबत, निस्बत, लेखे, मद्धे ।। भिन्नता-वाचक-सिवा, अलावा, अतिरिक्त, बिना, रहित । विनिमय-वाचक----पलटे, बदले, जगह ।। साहश्य-वाचक-समान, तरह, भॉति, सरीखा, योग्य, अनुसार, | मुताबिक ।। विरोध-वाचक-विरुद्ध, विपरीत, खिलाफ । सहकार-वाचक---साथ, सग, सहित, अधीन, वश । संग्रह-वाचक---भर, तक, पर्यंत, समेत तुलना-वाचक-अपेक्षा, बनिस्बत, आगे । १३४----रूप के अनुसार सबंध सूचक दो प्रकार के होते हैं-( १ ) मूल ( २ ) यौगिक । ' (१) जो संबंध-सूचक किसी दूसरे शब्दों से नहीं बनाए गए हैं, वे मूल संबंध-सूचक कहाते हैं; जैसे, बिना, तक, नाई ।। (२) जो संबंध-सूचक दूसरे शब्दों से बनाए गए हैं, उन्हें यौगिक संबंध-सूचक कहते हैं, जैसे, । ।। ( क ) संज्ञा से--पलटे, वास्ते, बदले, अपेक्षा, लेखे । ' ( ख ) विशेषण से--समान, सरीखा, योग्य, जैसा । | ( ग ) क्रिया विशेषण से-ऊपर, नीचे, आगे, पीछे, यहाँ । |.. (घ ) क्रिया से--लिए, मारे, करके, जान ।। , १३५–संबंध-सूचक के योग मे आकारांत संज्ञाएँ विकृत रूप में आती हैं, जैसे, किनारे तक, चौमासे भार, लड़के समेत ।।