पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/६२

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( ५२ ) इसमें योग देते हैं । राम मात्र लघु नाम हमारा । प्राणी मात्र पर दया करो । “ही और भर प्रायः समानार्थी हैं और उनका अर्थ "केवल है । “भी' और 'तक अधिकता के अर्थ में आते हैं । मात्र में दोनो अर्थ पाए जाते हैं। | ११६–“केवल क्रिया-विशेषण अन्य शब्दों के पूर्व आता है और वह जिस शब्द की विशेषता बताता है उसी के अनुसार उसका शब्द भेद होता है; जैसे, मेरे पास केवल पुस्तक है ( विशेषण ) । मै केवल टहलता हूँ { क्रिया विशेषण )। तुम आराम से बैठो; केवल वात-चीत मत करो ( सुमुच्चय-धक ) २१७-न, नहीं और मत के प्रयोगों में यह अंतर है कि 'न' से साधारण निषेध, “नहीं' से निश्चित निषेध और 'मत' से मनाई सूचित होता है, जैसे, वह न जायगा । मैं नहीं जाऊँगा । तुम मत जाओ । “न” कभी-कभी प्रश्न-वाचक क्रिया-विशेषण होता है, जैसे, तुम वहाँ जाओगे ने ? यह बात ठीक है न ? रोगी बहुत चिल्लाया है। में यह बात बिल्कुल भूल गया। लड़का खूब खेलता है । लड़की कुछ डरती है। | १३८---पूर्वोक्त वाक्यो मे रेखांकित क्रिया-विशेषण क्रियाओं का परिमाण ( अर्थात् "कितना” का उचर ) प्रकट करते हैं; इसलिये थे परिमाण-बोधक क्रिया-विशेषण कहते हैं । कई एक परिमाण-बोधक क्रिया-विशेषण विशेषणो और क्रिया-विशेघणो की विशेषता बताते हैं, जैसे, एक बहुत छोटी लड़की आई । (विशेचण की विशेषता ) गाड़ी बहुत धीरे चलती है । ( क्रिया-विशेषण की विशेषता ) । इतना सुंदर बालक । इतने धीरे। कुछ पहले। ११९प्रश्न करने के लिये जिन क्रिया-विशेषणो का उपयोग होता । है उन्हें प्रश्न-वाचक क्रिया विशेषण कहते हैं; जैसे,