पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/५८

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| १ ४८ ) == = = = = = सर्वनाम | रूप गुणवाचक विशेषण परिमाणवाचक विशेषण ऐसा | वैसा । तैसा जैसा -- - इस इतना | उस । उतना तिस तितना (उतना) जो जिस जितना कौन किस ।। कैसा कितना जैसा का तैसा वाक्यांश का अर्थ “पूर्ववत् होता है । तैसा के बदले अन्य स्थानों में बहुधा "वैसा” का प्रयोग होता है । "तितना का प्रचार बहुत कम है। कभी कभी ऐसा और 'जैसा” का प्रयोग समान के अर्थ से सबंध-सूचक के समान होता है; जैसे, आप ऐसे सजन, भोज जैसा राजा उनके जैसा शूर । १०६–अन्य परिमाणवाचक विशेषणों के समान सार्वनामिक परिमाणवाचक विशेषण भी बहुवचन मे संख्यावाचक होते हैं; जैसे, इतने लोग क्यों आये हैं ? आप कितने दाम लेगे ? वह जितने दिन जी उतने दिन दुःख में रही है। "कितने’का उपयोग कभी-भी कई के अर्थ में होता है; जैसे, “कितने ही लोग ईश्वर को नहीं मानते ।” कितने एक दिन के पीछे जरासंघ फिर सेना ले चढ आया । . | कैसा और कितना का उपयोग आश्चर्य में भी होता है; जैसे, विद्या पाने पर कैसा आनंद होता है ! कितने दुःख की बात है ! ११२-जब विशेषणो के विशेष्यो का लोप होता है, तब उनका प्रयोग प्रायः सज्ञा के समान होता है; जैसे, बड़े बड़ाई नहीं छोडते । दीन सबको देखता है। जैसा करोगे वैसा पाओगे। सहज में, इतने में ।