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एक वकील | मैं सरस्वती और गंगा की बंदना करता हूँ; एक अज्ञान को मिटाती है, और एक पाप को नष्ट करती है । • “आदि’ और ‘इत्यादि' (वगैरह) का अर्थ ‘और दूसरे है। इनका प्रयोग सर्वनाम अथवा विशेषण के समान होता है; जैसे, मनुष्य को धन, आरोग्यता आदि की चिंता करना चाहिए ( सर्वनाम )। उसमें साहस, चतुराई, धीरज इत्यादि गुण पाए जाते थे ( विशेषण )। 'अमुक' (फलाना) का उपयोग अनिश्चय के अर्थ में बहुघा कोई के समान होता है; जैसे, मनुष्य को जानना चाहिए कि अमुक मनुष्य है। कभी-कभी यह निश्चय नहीं होता कि अमुक बात सच है या झूठ। कोई दो पूर्णाक बोधक विशेषण साथ-साथ अनिश्चय सूचित करते हैं; जैसे, दो-चार दिन में, दस-बीस आदमी, पचास-साठ रुपए, ढाई- तीन घंटे में । “बीस', “पचास’ ‘सैकड़ा’, ‘हजार' और 'लाख' में 'ओ' जोड़ने से अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण बनते हैं; जैसे, बीसी आदमी, पचासो चर, सैकड़ो रुपए है। | परिमाण-बोधक संज्ञाओं में 'ओ' जोड़ने से उनका प्रयोग अनिश्चित संख्यावाचक विशेषणो के समान होता है; जैसे, सेरो दूध, मनो फल, ढेरो अनाज । | सब धन जाता देखिए, अाधा दीजे बॉटि। लड़के ने सारी संपत्ति उड़ा दी । उसने बहुत परिश्रम किया अभी तक काम पूरा नहीं हुआ । इसमें कुछ लाभ नहीं ।। ' १०३-ऊपर के वाक्यों में रेखाकित विशेषण । संख्या नहीं, किंतु परिमाण ( नाप तोल ) सूचित करते हैं, इसलिये इन्हे परिमाण-बोधक विशेषण कहते हैं। ये विशेषण बहुधा भाववाचक, द्रव्यवाचक 'अथवा । समूहवाचक संज्ञाओ के साथ आते हैं। १०४---परिमाण-चोधक विशेषण बहुधा एकवचन : संज्ञा के साथ